मुरादाबाद। गुप्त संदेश भेजने के लिए उपयोग की जाने वाली स्टेग्नोग्राफी कभी अंतरराष्ट्रीय-राष्ट्रीय आंतकवादी या देश विरोधी संगठनों का हथियार हुआ करती थी। अब यह तकनीक धार्मिक सद्भाव बिगाड़ने, अफवाह फैलाने से लेकर सट्टा कारोबार और ड्रग सप्लाय में होने लगा है। यह सूबे से लेकर मंडल स्तर पर फैल चुका है। उप्र के मुरादाबाद में बीते दिनों बड़ी संख्या में स्टेगनोग्राफी संदेश पकड़े गए हैं।
इंटरनेट मीडिया ने सूचनाओं की पहुंच को बहुत आसान बना दिया है। इसी इंटरनेट मीडिया के माध्यम से भावनाओं को भड़काने का काम किया जा रहा है। देश विरोधी ताकतें इन्हीं संदेशों में स्टेग्नोग्राफी तकनीक का उपयोग करके अपने समर्थकों को गुप्त संदेश भेजने का काम कर रही हैं। आम आदमी को आमतौर पर इसके बारे में कोई जानकारी नहीं होती है।
खुफिया एजेंसियों के लिए यह तकनीक सिरदर्द बनती जा रही हैं। सूबे में मुरादाबाद मंडल के सभी जनपद अति संवदेनशील हैं। ऐसे में बीते कुछ माह में जनपद में सक्रिय खुफिया एजेंसियों ने कुछ स्टेग्नोग्राफी संदेशों को पकड़ा है। खुफिया एजेंसियों ने जब इन संदेशों को डी-कोड किया तो पता चला कि आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त स्लीपर सेल से जुड़े लोग इस काम को अंजाम दे रहे हैं।
यह है स्टेग्नोग्राफी
स्टेग्नोग्राफी तकनीक एक कम्प्यूटरीकृत प्रणाली है, जिसमें एक फोटो के अंदर दूसरी फाइल को छिपा दिया जाता है। अक्सर फोटो की डिजाइन ऐसे होती है, जो अलग-अलग रोशनी पड़ने के साथ ही अंक के रूप में नजर आने लगती है। तकनीक के जानकार उन अंकों को लिखकर उस मैसेज को पढ़ने का काम करते हैं।
सबसे ज्यादा उपयोग लादेन ने किया
- स्टेग्नोग्राफी का सबसे ज्यादा प्रयोग दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी ओसामा बिन लादेन के संगठन द्वारा किए जाने की बात सामने आई थी।
- इसके साथ ही मुंबई में हुए हमले के बाद हुई जांच में खुफिया एजेंसियों ने स्टेग्नोग्राफी संदेशों को पकड़ा था।
- आतंकवादी संगठन खुफिया एजेंसियों को गुमराह करने के लिए पोर्न फिल्मों के माध्यम से इन संदेशों को छिपाकर भेज देते हैं।
पर्शियन युद्ध में पहली बार हुआ था इसका इस्तेमाल, सिर मुंडवाकर भेजते
इतिहास के पन्ने पर स्टेग्नोग्राफी का जो पहला मामला दर्ज है, वो है पर्शियन युद्ध के दौरान का। सूचनाएं पहुंचाने के लिए संदेश वाहक का सिर मुंडवा दिया जाता था। उस पर संदेश लिख दिया जाता था। बाल उगने के बाद वह संदेश लेकर पहुंचता था। सिर मुंडवाकर संदेश पढ़ लिया जाता था।
- अक्टूबर 2020: औद्योगिक उद्यमों को लक्षित करने वाले हैकर्स ने इसका उपयोग किया
- जून 2020: साइबर अपराधियों ने समझौता ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर जावा स्क्रिप्ट क्रेडिट कार्ड स्किमिंग कोड को छिपाने के लिए पिक्चर फाइल का उपयोग किया
- जनवरी 2020: गाíडकोर लैब्स के शोधकर्ताओं ने एक क्रिप्टोकरंसी की खोज की जो ऑडियो फाइलों के अंदर छिपी हुई थी
- अगस्त 2019: ट्रेंडमाइक्रो के शोधकर्ताओं ने एक नया संस्करण खोजा है जो फाइल के अंदर अपने दुर्भावनापूर्ण कोड को छिपाने के लिए उपयोग करता है
- अप्रैल 2019: पूर्व जीई इंजीनियर पर आíथक जासूसी का आरोप लगाया गया। कर्मचारी ने स्वामित्व जानकारी वाली फ़ाइलों को एन्क्रिप्ट किया था और उन्हें सूर्यास्त की तस्वीर में छिपा दिया था
- दिसंबर 2018: अभिनेताओं के ट्विटर में दुर्भावनापूर्ण कोड को छिपाया गया
डीकोड करने के लिए अब राज्य स्तर पर भी प्रशिक्षण जरूरी
तथ्य फॉरेंसिक विंग नई दिल्ली के निदेशक एवं मुरादाबाद पुलिस अकादमी के अतिथि प्रशिक्षक संजय मिश्र के अनुसार दुनिया के सभी बड़े आतंकवादी संगठन इसके माध्यम से अपने लोगों संदेश भेजते हैं। अब इसका उपयोग अब सट्टा कारोबारी, ड्रग सप्लायर भी कर रहे हैं। बीते दिनों में बड़ी संख्या में स्टेग्नोग्राफी मैसेज पकड़े गए हैं। विभागीय स्तर पर ऐसे संदेशों को लेकर कड़ी निगरानी की जा रही है। केंद्र सरकार की खुफिया एजेंसियों के साथ ही अब राज्य सरकार भी पुलिस अफसरों को स्टेग्नोग्राफी का प्रशिक्षण दिलाने का काम कर रही है। उत्तर प्रदेश एटीएस के कुछ अफसरों को इस तकनीक को समझने के लिए खास प्रशिक्षित किया गया है। मौजूदा समय में दिल्ली में डेटा सिक्योरिटी ऑफ इंडिया(डीएससीआइ) के माध्यम से इस तकनीकी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।