देहरादून: देहरादून में चल रहे मिड-टर्म ऑल इंडिया ऑप्थैल्मोलॉजिकल सोसाइटी (AIOS) शिखर सम्मेलन ने नेत्र रोग विशेषज्ञों को मोतियाबिंद सर्जरी में अपनी विशेषज्ञता को गहरा करने के लिए एक बेहतरीन मंच प्रदान किया। इस कार्यक्रम में डॉ. गौरव लूथरा, डॉ. महिपाल सचदेव, डॉ. नम्रता शर्मा, डॉ. पार्था बिस्वास, डॉ. अजय अग्रवाल, डॉ. पीयूष कपूर, डॉ. सोनू गोयल और डॉ. डी. राममूर्ति सहित देशभर के 35 से अधिक प्रसिद्ध सर्जनों द्वारा लाइव सर्जरी का प्रदर्शन किया गया। शिखर सम्मेलन में विवेकानंद अस्पताल में भी सर्जरी की गई, जिसमें मोतियाबिंद के अलावा पीटोसिस, ग्लूकोमा और ऑटोफोकस IOL जैसी विभिन्न प्रक्रियाओं का प्रदर्शन किया गया।
मोतियाबिंद विश्व स्तर पर दृष्टि हानि का एक प्रमुख कारण है, और इसका निदान होने पर मरीजों में काफी चिंता पैदा होती है। लाइव सर्जरी कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल उन्नत सर्जिकल तकनीकों का प्रदर्शन करना था, बल्कि उन महत्वपूर्ण जानकारियों को साझा करना भी था जो रोगी परिणामों में सुधार ला सकती हैं। AIOS की वैज्ञानिक चेयर, डॉ. नम्रता शर्मा ने कहा, “इतने बड़े लाइव सर्जरी कार्यक्रम का आयोजन करना एक चुनौती थी, लेकिन भगवान की कृपा से इसे सफलतापूर्वक संपन्न किया गया।” इस कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. गौरव लूथरा, जिन्होंने इस भव्य आयोजन के समन्वय में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस सत्र में भाग लेने वाले सर्जनों ने ऑपरेटिंग रूम में ज्ञान और कौशल का एक प्रभावशाली भंडार प्रस्तुत किया। उपस्थित लोगों को रीयल-टाइम में मोतियाबिंद सर्जरी की जटिल प्रक्रियाओं को देखने का अनूठा अवसर मिला। प्रारंभिक चीरे से लेकर धुंधली लेंस को सावधानीपूर्वक हटाने और एक नए इंट्राओक्युलर लेंस को स्थापित करने तक, प्रत्येक कदम को बारीकी से निष्पादित किया गया। इस प्रकार के विस्तृत प्रदर्शन युवा सर्जनों और कौशल को निखारने की तलाश में लगे लोगों के लिए एक गहन सीखने का अनुभव प्रदान करते हैं।
आधुनिक मोतियाबिंद सर्जरी की एक महत्वपूर्ण विशेषता अत्याधुनिक तकनीक का एकीकरण है। दृष्टि आई इंस्टीट्यूट में उपस्थित सर्जनों ने उन्नत फेकोइमल्सिफिकेशन मशीनों का उपयोग किया, जिससे न्यूनतम इनवेसिव सर्जिकल विधियां संभव हो सकीं। इस तकनीकी प्रगति से न केवल मरीजों की रिकवरी का समय कम होता है, बल्कि सर्जिकल परिणामों में भी सुधार होता है। इस कार्यक्रम ने पूर्व-ऑपरेटिव आकलन और व्यक्तिगत देखभाल योजनाओं के महत्व को भी रेखांकित किया, जिससे प्रत्येक मरीज की अनूठी आवश्यकताओं का ध्यान रखा जा सके।
AIOS शिखर सम्मेलन ने न केवल भारतीय नेत्र रोग विशेषज्ञों की तकनीकी दक्षता को उजागर किया, बल्कि रोगी देखभाल में सुधार के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता की भी याद दिलाई। नवाचार को अपनाने और विशेषज्ञता साझा करने के साथ, मोतियाबिंद सर्जरी का भविष्य और दृष्टि स्वास्थ्य उज्ज्वल बना रहेगा।