मीडिया की कवरेज को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सवाल खड़े किए हैं. कहा गया है कि किसी आरोपी के पर्सनल वॉट्सऐप चैट को यूं टीवी पर दिखाना ना सिर्फ आरोपी के अधिकारों का हनन है, बल्कि न्याय प्रशासन के लिए भी घातक है. केंद्र सरकार ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी और कोर्ट की अवमानना के फर्क को साफ करना बेहद जरूरी हो चला है.
केंद्र सरकार की तरफ से यह बात अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कही. यहां उनका इशारा सुशांत सिंह राजपूत केस की मीडिया कवरेज की तरफ था. हालांकि, उन्होंने इसका नाम लेकर जिक्र नहीं किया. अटॉर्नी जनरल ने आगे राफेल केस का जरूर नाम लिया और कहा कि कोर्ट में पेंडिंग केसों पर कॉमेंट नहीं किए जाने चाहिए.
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा, ‘कोर्ट में बेल अर्जी लगी हुई थी और दूसरी तरफ टीवी चैनल आरोपी के प्राइवेट वॉट्सऐप चैट सार्वजनिक कर रहे थे. यह आरोपी के अधिकारों का हनन है साथ ही साथ न्याय व्यवस्था के लिए खतरनाक है.’ बता दें सुशांत सिंह राजपूत केस में रिया चक्रवर्ती समेत अन्य स्टार्स के भी चैट वायरल हुए थे.
केके वेणुगोपाल ने कहा कि कोर्ट में विचाराधीन मामलों पर रिपोर्टिंग की मनाही है और यह कोर्ट की अवमानना है. उन्होंने कहा कि आजकल प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया उन केसों पर रिपोर्टिंग से परहेज नहीं करती जो विचाराधीन होते हैं. कहा गया कि ऐसा करके कोर्ट को प्रभावित करने की कोशिश रहती है.