पंचतत्व में विलीन हुए पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा

ऋषिकेश: विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद और स्वतंत्रा संग्राम सेनानी सुंदर लाल बहुगुणा हवा, पानी और बयार में विलीन हो गए। “क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार! मिट्टी, पानी और बयार, जिन्दा रहने के आधार” जी हां यह नारा उन्होंने ही गढ़ा था चिपको आंदोलन के दौरान और जीवन भर इसके लिए अलख जगाते रहे। इसी नारे को जीते-जीते आज इन्ही में विलीन भी हो गए। एम्स ऋषिकेश में आज उन्होंने 94 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। कोरोना नियमों के मुताबिक राजकीय सम्मान के साथ ऋषिकेश के पूर्णानंद घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके पुत्र राजीव नयन बहुगुणा ने पीपीई किट पहनकर नम आंखों से पिता को मुखाग्नि दी। उनको अंतिम विदाई देने विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, पूर्व सीएम हरीश रावत, जिलाधिकारी देहरादून डॉ. आशीष श्रीवास्तव, ऋषिकेश मेयर अनीता ममगाई, एसएसपी देहरादून डॉ योगेंद्र सिंह, एसपी देहात स्वतंत्र कुमार, पर्यावरणविद अनिल जोशी, मलेथा आंदोलनकारी समीर रतूड़ी, एसडीएम वरुण चौधरी उपस्थित रहे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, सीएम तीरथ ने पर्यावरणविद, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी  और चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, “श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी का निधन हमारे देश के लिए एक चिरस्मरणीय क्षति है। उन्होंने प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने के हमारे सदियों पुराने लोकाचार को सामने लाने का काम किया। उनकी सादगी और करुणा की भावना को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। मेरे विचार उनके परिवार और कई प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।” वहीं राज्यपाल ने कहा कि उनका निधन संपूर्ण देश और विश्व के लिए अपूरणीय क्षति है। चिपको जैसे विश्वविख्यात आंदोलन का नेतृत्व करने वाले वृक्षमित्र सुंदरलाल बहुगुणा जल, जंगल, मिट्टी और बयार को जीवन का आधार मानते थे। पर्यावरण संरक्षण को समर्पित उनका जीवन और सिद्धान्त विश्वभर में पर्यावरण हितैषियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा।

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