नैनीताल (नेटवर्क 10 संवाददाता)। पर्यटकों के न आने से उत्तराखंड की आर्थिकी चरमरा गई है। पर्यटन उद्योग से जुड़े तमाम छोटे बड़े लोगों पर इसका बड़ा असर पड़ा है। होटल व्यवसाय से लेकर परिवहन तक से जुड़े लोग बेहद परेशान हैं। इन्हीं में से एक हैं रिक्शा चालक। नैनीताल और मसूरी में रिक्शा चलाकर अपना परिवार पालने वालों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
देश और दुनिया में भले ही तेजी से फैल रहे कोरोना वायरस संक्रमण पर नियंत्रण पाने के लिए केंद्र सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया, ताकि इस संक्रमण पर नियंत्रण पाया जा सके। लेकिन इस लॉकडाउन की वजह से गरीब और मेहनत मजदूरी करने वाले लोगों को काफी परेशानी हो रही है। यही सब कुछ सरोवर नगरी नैनीताल में भी देखने को मिल रहा है। यहां लॉकडाउन के कारण रिक्शा संचालन पूरी तरह से बंद है,अब स्थिति यह हो गई है कि ये रिक्शा चलाने वाले धीरे- धीरे भुखमरी के कगार पर पहुंच गये हैं।
सरोवर नगरी नैनीताल में रिक्शा चालक सबसे ज्यादा प्रभावित हैं क्योंकि बीते डेढ़ महीने से नैनीताल में रिक्शा कारोबार पूरी तरह से बंद हो चुका है जिस कारण है कि इन लोगों के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया है, नैनीताल में डेढ़ किलोमीटर की सड़क में करीब 80 रिक्शे संचालित होते हैं और इन रिक्शे को करीब 300 लोग बारी-बारी से चलाते हैं, जिससे इन रिक्शा चालकों के परिवार का भरण पोषण होता है। लेकिन इन दिनों ये लोग लॉकडाउन की वजह से मायूस है और अब तक इन लोगों को स्थानीय लोगों और समाजसेवीयो के द्वारा राशन दिया गया था ताकि इन परिवारों की भोजन व्यवस्था हो सके। लेकिन अब ये राशन पूरी तरह से खत्म हो गया है, जिससे इन रिक्शा चालकों के सामने अब भयानक संकट खड़ा हो गया है।
रिक्शा संचालक एसोसिएशन के अध्यक्ष नंदा बल्लभ जोशी बताते हैं कि उनके द्वारा करीब 16 कर्मचारियों को रिक्शे की रिपेयरिंग, चौकीदारी, टिकट काटने व अन्य कामों के रखा था और इन कर्मचारी को प्रतिमाह ₹6000 का वेतन भी दिया जाता था, इन पैसों की व्यवस्था टिकट बिक्री के रूपयों से होती थी। लेकिन जबसे लॉकडाउन हुआ है तब से रिक्शे का संचालन पूरी तरह से बंद है। जिस वजह से अब कर्मचारियों को तनख्वाह देने तक के रूपये नहीं है, जिस वजह से सभी के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। वहीं अब रिक्शा संचालक सरकार से रिक्शो को चलाने की मांग कर रहे हैं ताकि इन लोगों को कुछ राहत मिल सके।