हल्द्वानी (नेटवर्क 10 संवाददाता)। खबर के साथ लगी जो तस्वीर आप देख रहे हैं ये हल्द्वानी की गौला नदी की है। और ये सब हुआ है दो सरकारी विभागों के बीच सामनजस्य न होने के चलते। गौला में इस तरह सैलाब आया कि गौला नदी में निर्माण के काम में लगे दर्जनों मजदूरों की जान चली जाती। वो तो वक्त रहते मजदूर नदी से निकलकर दूर चले गए और बच गए।
दरअसल वन विभाग और सिंचाई विभाग के बीच आपसी सामंजस्य न होने के लिए ये हालात पैदा हुए। बुधवार सुबह गौला में काम करने वाले मजदूरों की जान पर आफत आ गई। गौला बैराज से पानी छोड़ते ही नदी में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई। गोरापड़ाव गेट पर मजदूरों ने जैसे-तैसे दौड़ लगाकर अपनी जान बचाई। हालांकि, तीन डंपर नदी में बह गए। वाहनस्वामियों से लेकर स्थानीय लोगों ने इस लापरवाही को लेकर अफसरों की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं।
जैसा कि सबको पता है कि आज से मानसून सीजन शुरू हो चुका है। पहाड़ और मैदानों में बारिश शुरू हो चुकी है। गौला बैराज में इन दिनों निर्माण का काम चल रहा है। सिंचाई विभाग के मुताबिक सुबह छह बजे करीब बैराज से पानी नदी में छोड़ा गया। इस दौरान अलार्म भी बजाया गया। हालांकि, वन निगम को इसकी भनक नहीं लग सकी।
आखिर हालात ऐसे हुए कि बैराज से छोड़े गए पानी की वजह से वहां बाढ़ के हालात बन गए। गौला में काम करने वाले मजदूरों को दौड़ लगाकर अपनी जान बचानी पड़ी। गोरापड़ाव इलाके के बीडीसी मेंबर गोपाल अधिकारी ने बताया कि गोरापड़ाव निकासी गेट पर पानी की मात्रा ज्यादा होने से तीन डंपर बह गए। हालांकि, कुछ दूरी पर यह खनन वाहन मिले।
इधर, सिंचाई विभाग का कहना है कि पानी छोड़ते समय अलार्म बजाया गया था और साथ ही वन निगम को भी इसकी सूचना दी गई थी। अचानक पहाड़ से पानी आने की वजह से मात्रा आठ हजार क्यूसेक पहुंच गई। जिस वजह से गौला उफान में आई।