देहरादून (नेटवर्क 10 संवाददाता)। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धनसिंह रावत के बयान से महाविद्यालय महासंघ नाराज हो गया है। महासंघ का कहना है कि मंत्मरी ने सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों को लेकर जो बयान दिया है वो भ्रम पैदा करने वाला है। महासंघ ने कहा कि सहायता प्रप्त अशासकीय महाविद्यालयों पर राज्य सरकार के नियम लागू हैं और यहां कार्यरत सभी शिक्षक और शिक्षणोत्तर कर्मचारी राज्य सरकार की ही सेवा शर्तों के तहत आते हैं।
महासंघ का कहना है कि मंत्री धन सिंह रावत ने अशासकीय महाविद्यालय की संबद्धता के बारे में जो बयान दिया, वह भ्रामक और तथ्यहीन है। उन्होंने कहा कि अशासकीय महाविद्यालय केवल शैक्षणिक रूप से हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं। प्रदेश के हजारों छात्र-छात्रएं हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में शोधार्थी के रूप में पंजीकृत हैं। इन शोधार्थियों को पीएचडी डिग्री प्रदान की जा चुकी है। अगर सभी अशासकीय महाविद्यालय श्रीदेव सुमन से संबद्ध किए गये तो उत्तराखंड के छात्र-छात्रओं को केंद्रीय विश्वविद्यालय में पढ़ने वह उससे मिलने वाली सुविधाओं से वंचित होना पड़ेगा।
महासंघ ने राज्य सरकार से अनुरोध किया कि इन अशासकीय महाविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालय का हिस्सा बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव डालें। ऐसा केंद्रीय विश्वविद्यालय के ड्राफ्ट में उल्लेखित है। जिससे राज्य सरकार को करोड़ों रुपये प्रतिमाह की बचत होगी। इस समय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक उत्तराखंड से हैं। वह इन समस्याओं से भली-भांति परिचित हैं।
महासंघ द्वारा ये बयान बाकायदा सोमवार को जारी किया गया।