रुड़की: मीठा भी जहर हो सकता है, यह आप इस खबर के माध्यम से जान सकते हैं. बुजुर्गों का कहना है कि मिठाई में गुड़ से मीठा और लाभकारी कुछ नहीं होता. लेकिन जब यह गुड़ लोगों को जहर के रूप में परोसा जा रहा हो, तो आप क्या कहेंगे. दरअसल रुड़की क्षेत्र के बिझोली, झबरेड़ा और लिब्बरहेड़ी गांव में बरसात के बावजूद गुड़ बनाने का काम जोरों पर चल रहा है. भले ही खेतों में गन्ना न हो पर भारी मुनाफे के लिए कुछ व्यापारी और कोल्हू मालिक पुराने गुड़ और खराब हुई चीनी में खतरनाक केमिकल मिला कर गुड़ बनाने का काम कर रहे हैं.
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. एनडी अरोरा का कहना है कि इस प्रकार का गुड़ लीवर और किडनी पर बहुत ज्यादा असर डालता है. विभिन्न तरह के केमिकल का उपयोग कर पुराने गुड़ को साफ कर मार्केट में बेचा जा रहा है. उन्होंने बताया कि पुराने सड़े हुए गुड़ से एल्कोहल या शीरा निकाला जाए तो बात अलग है, लेकिन अगर सड़े हुए गुड़ में ही केमिकल मिलाकर फिर से गुड़ बनाया जाए तो वो लोगों के लिए घातक साबित हो सकता है.
वहीं एसडीएम गोपाल सिंह चौहान ने मामले की गंभीरता को देखते हुए खाद्य निरीक्षक को तत्काल इन कोल्हू पर जाकर सैंपल एकत्र कर जांच के आदेश दिये हैं. अब देखने वाली बात यह होगी कि मीठा जहर बेचने वालों पर किस तरह की कार्रवाई होती है.