रुड़कीः चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने के बाद आई आपदा का आज तीसरा दिन है. जोशीमठ में राहत बचाव कार्य आज तीसरे दिन भी जारी है. इस आपदा के बाद आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं ने इस घटना पर अपनी रिसर्च शुरू कर दी है. आपदा के कारणों का पता लगाने में जुटे शोधकर्ता इस त्रासदी पर चिंतित हैं और भविष्य में ऐसी घटना ना हो, इसके लिए बारीकी से मंथन किया जा रहा है. आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों का कहना है कि 2013 में केदारनाथ में हुई त्रासदी और चमोली जिले में आई आपदा में काफी अंतर है.
गौरतलब है कि 7 फरवरी को चमोली जिले के जोशीमठ से 22 किलोमीटर दूर रैणी गांव के पास ग्लेशियर टूटने से ऋषि गंगा और धौली नदियों में जल सैलाब आ गया था. इस आपदा में ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट पूरी तरह तबाह हो चुका है. कई लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों की संख्या में लोग अभी भी लापता हैं जिन्हें खोजा जा रहा है.