दिल्ली सरकार के कॉलेजों में वेतन का संकट, व्यवस्था चरमराई

दिल्ली (नेटवर्क 10 संवाददाता ): शिक्षक संगठन NDTF ने एक बार फिर दिल्ली सरकार से फंडेड 12 कॉलेजों में शिक्षक- कर्मचारियों के वेतन संकट को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर जल्द से जल्द ग्रांट जारी करने की अपील की है. संगठन के अघ्यक्ष डॉ. ए.के भागी के ने बताया कि पिछले कई महीने से दिल्ली सरकार से पूरी तरह फंडेड कॉलेजों में शिक्षक -कर्मचारियों के वेतन और अन्य ग्रांट के समय पर ना मिलने से ये कॉलेज वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं. जो ग्रांट मिलता है वह ना केवल नाकाफी है बल्कि देर से भी मिलता है.

डॉ. भागी के मुताबिक कई कॉलेज 3 से 12 -15 करोड़ रुपए के घाटे में हैं. इस घाटे के चलते कभी ऐसी परिस्थिति भी आ सकती है कि इन कॉलेजों को बंद करना पड़ जाए. दबाव के चलते कई कॉलेजों ने स्टूडेंट फंड से शिक्षक-कर्मचारियों का वेतन भुगतान किया है. डॉ. भागी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण शिक्षक- कर्मचारी पहले ही तनाव से गुजर रहे हैं, ऐसे में वेतन में ग्रांट का रोकना आमानवीय और अन्यायपूर्ण है.

पत्र में दिल्ली सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने कॉलेजों की प्रबंध समिति में जो नामांकन किया है वह विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद 2012 के प्रस्ताव 51 के अनुरूप नहीं है. खबरों के मुताबिक दिल्ली सरकार ने भगनी निवेदिता कॉलेज के भ्रष्टाचार के कथित आरोपों की जांच कराने की बात की है. यह सर्वविदित है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में ऑडिट एक नियमित और स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन जिस कॉलेज में प्रबंध समिति अध्यक्ष का चुनाव नजदीक हो वहां ऑडिट की घोषणा करना भ्रष्टाचार पर प्रहार कम और किसी खास व्यक्ति को चुनने के लिए शिक्षक प्रतिनिधि और प्राचार्य को डराने की अनावश्यक तरकीब अधिक प्रतीत होती है.

संगठन महासचिव डॉ. वी इस नेगी ने कहा कि दिल्ली सरकार के पांच प्रतिनिधियों में से अध्यक्ष चुनने के लिए यह एक दबाव बनाने की तरकीब है. नामांकन के लिए डराने की तरकीबें अपनाना और प्रबंध समिति में कार्यकारी परिषद के अनुसार अयोग्य आप पार्टी के व्यक्तियों का नामांकन एक नैतिक और लोकतांत्रिक आचरण के विपरीत है.

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