देहरादून। प्रदेश में अब उड़ान योजना के तहत बनने वाले हेलीपैड के मानक बदले जाएंगे। कड़े मानकों के कारण हेलीपैड बनाने में खासी दिक्कतें आ रही थीं। इससे सभी जगह हवाई सेवाएं भी शुरू नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में अब नागरिक उड्डयन विभाग, केंद्र को पत्र लिखकर मानकों का शिथिलीकरण करने का अनुरोध कर रहा है।
प्रदेश में लंबे समय से हवाई सेवाओं को गति देने की कवायद चल रही है। इसके लिए उड़ान योजना के तहत 15 स्थानों में हेलीपैड बनाए जाने हैं। इस कड़ी में जमीन चयिनत करने के साथ ही इसकी डीपीआर भी तैयार की जानी है। डीपीआर तैयार करने का जिम्मा पवनहंस को सौंपा गया है। हेलीपैड को बनाने में सबसे बड़ा रोड़ा इसके कठिन मानक हैं। दरअसल, मानकों के अनुसार हेलीपैड में 22 सुरक्षा कर्मी तैनात रहेंगे। यहां यात्रियों के लिए एक बड़ा लाउंज बनाया जाएगा, जिसमें यात्रियों के विश्राम से लेकर सारी मूलभूत सुविधाएं रहेंगी और जांच के लिए भी गेट बनेंगे। हेलीपैड में एक फायर स्टेशन भी बनेगा ताकि आपात स्थिति में आग बुझाने का काम इससे लिया जा सके।
इन सब सुविधाओं को विकसित करने के लिए हेलीपैड के आसपास काफी जमीन की आवश्यकता होगी। प्रदेश की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि पर्वतीय क्षेत्रों में इन मानकों के मुतािबक जमीन नहीं मिल पा रही है। कुछ दिनों पूर्व केंद्रीय नागरिक उड्डयन सचिव प्रदीप खरोला उत्तराखंड आए थे। इस दौरान विभागीय अधिकारियों ने यह समस्या उनके समक्ष रखी। इस पर उन्होंने विभागीय अधिकारियों को मानकों में संशोधन करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजने को कहा, जिस पर अध्ययन के बाद उचित निर्णय लिया जा सके।
ऐसे में अब नागरिक उड्डयन विभाग मानकों में संशोधन का प्रस्ताव केंद्र को भेजने की तैयारी कर रहा है। इसमें सुरक्षा कर्मियों की संख्या कम करने, बड़ा वेटिंग लाउंज बनाने की जगह प्री फैब्रिकेटेड बिल्डिंग बनाने, पूरे फायर स्टेशन की जगह अंडर ग्राउंड वाटर टैंक बनाने और हेलीपैड से मकानों की दूरी के मानकों में छूट मांगी जा रही है। जल्द ही यह प्रस्ताव केंद्र को भेज दिया जाएगा।