उत्तराखंड: चीन बॉर्डर तक पहुंची सड़क, आसानी से हथियार लेकर पहुंच सकेंगे सुरक्षा बल…

पिथौरागढ़ (नेटवर्क 10 संवाददाता)। उत्तराखंड में चीन बॉर्डर तक आखिर सड़क का निर्माण हो चुका है और अब सेना या अर्धसैनिक बल चीन बॉर्डर तक हथियारों के साथ आसानी से पहुंच सकते हैं। आखिर लिपूलेख तक सड़क निर्माण का कार्य पूरा कर लिया है। सामरिक रूप से इस सड़क का निर्माण बेहद महत्वपूर्ण था।

आपको बता दें कि इस सड़क का निर्माण बड़े बड़े पहाड़ और चट्टानें काटकर किया गया है। तस्वीर देखकर आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं।  इस सड़क के बनने से भारतीय सेना आसानी से हथियारों व रसद की आपूर्ति कर सीमा को सुरक्षित कर सकेगी। इस सड़क से अब कैलास मानसरोवर जाने आने वाले यात्रियों को भी काफी सुविधा होगी। श्रद्धालु व पर्यटक पहाड़ के दुर्गम रास्तों पर बिना पैदल चले आसानी से सफर पूरा कर सकेंगे।

सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण

भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय रूप से चीन सीमा को संचार व परिवहन की सुविधा से लैस करना बेहद महत्वपूर्ण मसला था। सड़क न होने के कारण सीमा तक जवानों के पहुंचने और गश्त करने में काफी मुश्किलें आती थीं। पहाड़ का दुर्गम सफर कर हाथियार पर रसद के साथ पहुंचना जवानों के लिए काफी चुनौती भरा होता था। इसके लिए खच्चर और घोड़ाें की मदद ली जाती थी। अब जबकि सड़क का निर्माण पूरा हो गया है। भारतीय सेना, आइटीबीपी, बीआरओ के वाहन सीधे चीन सीमा तक पहुंच सकेंगे। बता दें कि पहले धारचूला से सीमा तक पहुंचने में चार दिन का समय लग जाता था।

आखिर 20 साल में हो पाया काम पूरा

उत्तर भारत को चीन से जोड़ने के लिए पिथौरागढ जिले के गर्बाधार से चीन सीमा लिपूलेख तक 76 किमी लंबी सड़क को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने तैयार कर लिया है। सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने 1999 में रक्षा मंत्रालय के तहत बीआरओ द्वारा इन सड़कों के निर्माण को मंजूरी दी थी। इस परियोजना को 2003 से 2006 के बीच पूरा किया जाना था, लेकिन उस अवधि में कार्य न हो पाने के कारण समय सीमा को 2012 तक बढ़ा दिया गया था।

सड़क निर्माण में लगी काफी देरी

बढ़ाई गई समय सीमा में सड़क निर्माण का लक्ष्य पूरा न किया जा सका। काम में देरी होते देख 2017 में बीआरओ ने यह जिम्मा निजी कंपनी गर्ग एंड गर्ग को सौंप दिया। विषम भौगोलिक परिस्थिति के चलते सड़क निर्माण में तमाम बाधाएं आईं। मालपा में कठोर चट्टानों की कटाई में आस्ट्रेलिया से आधुनिक मशीनें मंगाई गईं। इन मशीनों को हेलीकॉप्टर से क्षेत्र में उतारा गया। आखिरकार बीआरओ के निर्देशन में चीन सीमा तक सड़क निर्माण का काम पूर कर लिया गया।

 

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