शांति कुंज के अध्यक्ष डॉ. प्रणब पंड्या पर रेप का केस, कहीं षडयंत्र तो नहीं?

हरिद्वार (नेटवर्क 10 संवाददाता)। देश की ख्यातिनाम आध्यात्मिक संस्था गायत्री परिवार शांतिकुंज के अध्यक्ष डॉक्टर प्रणव पंड्या पर छत्तीसगढ़ की एक युवती ने बलात्कार का आरोप लगाया है। इस युवती ने दिल्ली के विवेक विहार थाने में धारा 376, 506 और आईपीसी की धारा 34 के तहत जीरो एफआईआर दर्ज कराई है। दर्ज एफआईआर के अनुसार युवती ने कहा है कि वह छत्तीसगढ़ के जिला जांजगीर के मधुआ गांव की रहने वाली है और साल 2010 में प्रणब पंड्या ने उसके साथ रेप किया।

युवती ने बताया है कि शांतिकुंज के एक कार्यकर्ता मनीराम साहू उसे हरिद्वार आश्रम में भोजन के काम के लिए ले गया था। वहीं पर उसकी शादी कराने का झांसा भी दिया गया था। मार्च 2010 में उसे आश्रम के अध्यक्ष प्रणव पंड्या  की किचन में खाना आदि बनाने के काम के लिए रख लिया गया, जिसमे 50 लडकिया काम करती थी। बताया गया है कि 15 दिन काम करने के बाद पंड्या की पत्नी शैल जीजी ने उसे अपने एक विशेष समूह में रख लिया, जिसमे केवल 10 लडकियां थी। इन सबका काम बारी बारी से डॉक्टर पंड्या और शैल जीजी की सेवा करना होता था।

इसी दौरान एक दिन जब वह दोपहर के वक्त डॉक्टर पंड्या को उनके कमरे में कॉफी देने गई तो डॉक्टर ने उनके साथ बलात्कार किया। शिकायत में लड़की ने बताया है कि डॉक्टर पंड्या ने उसके साथ 15 दिन में कई बार बलात्कार किया। इससे उसकी तबियत बिगड़ने पर उसे वापस उसके गांव भेज दिया गया और मुंह बंद रखने की धमकी दी गई। शैल जीजी ने भी उसे इस बारे में किसी को नही बताने की धमकी दी थी। जब उसे पंड्या ने  बलात्कार का शिकार बनाया तब उसकी उम्र 14 साल की थी। पीड़िता का कहना है कि हाल ही में जब निर्भया को इंसाफ मिला तो उसका हौंसला बढ़ा। इसलिए उसने इस बारे में रिपोर्ट लिखवाने की हिम्मत की।

दिल्ली के विवेक नगर थाने ने धारा 504, 376, व IPC की धारा 34 के तहत जीरो FIR दर्ज कर जांच के लिए हरिद्वार पुलिस को भेजा है। गैरतलब है कि देश विदेश में गायत्री परिवार शांतिकुंज के 5 करोड़ से ज्यादा सदस्य हैं। पिछले सालों में पीएम मोदी ने उन्हें आध्यात्मिक हस्ती के रूप में राज्यसभा का सदस्य भी नामित किया था मगर पंड्या ने राज्यसभा के पद स्वीकार नहीं किया था। डॉक्टर प्रणव पंड्या का देश विदेश में खासा प्रभाव माना जाता है।

शांति कुंज ने बताया षडयंत्र

इस पूरे मामले पर शांति कुंज की तरफ से कहा गया है कि सारे आरोप बेबुनियाद और झूठे हैं। दस साल बाद ऐसा मामला दर्ज कराना किसी षडयंत्र का ही हिस्सा है।

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