बता दें कि साल 2015-16 में लोक निर्माण दुगड्डा के द्वारा कोटद्वार तहसील प्रांगण में सड़क का निर्माण किया गया था. जिस पर समाजसेवी मुजीब नैथानी ने घोटाले का अनुमान जताते हुए जांच की मांग की थी. 26 नवंबर 2016 को तहसीलदार की अध्यक्षता में इसके लिए दो सदस्यीय समिति गठित की गई. जिसमें तहसीलदार कोटद्वार को अध्यक्ष और सहायक अभियंता ग्रामीण अभियंत्रण सेवा कोटद्वार को सदस्य नियुक्त किया गया था.
प्रकरण में छ्वाण सिंह रावत तहसीलदार कोटद्वार एवं एसएस रावत सहायक अभियंता ग्रामीण निर्माण विभाग कोटद्वार ने अपनी 28 दिसंबर 2016 की रिपोर्ट में बताया था कि उपजिलाधिकारी आवास के सामने से मुख्य गेट से तहसील आवास तक जिसमें पूर्व में सीसी मार्ग बना हुआ था. उसके ऊपर 20 एमएम मोटाई का पीसी कार्य किया गया. जिसके बेस में सीसी कार्य होने की वजह से G, G2 और G3 नहीं डाला गया.
यह भी बताया गया था कि तहसील परिसर के सड़क निर्माण में बेस में G1, G2 व G3 तथा उसके ऊपर 20 एमएम मोटाई की पीसी का कार्य किया गया है. सड़क के टॉप में सील कोर्ट के कार्य में कमी पाई गई. सड़क गुणवत्ता की परक नहीं है.
सड़क के टॉप सील को फिर मौसम अनुकूल होने पर कार्य किया जाना आवश्यक है. लेकिन उक्त सील कोट दोबारा आज तक नहीं डाली गई. जांच के दौरान तकनीकी अधिकारी भी मौजूद थे. जांच में यह भी पता चला कि सड़क निर्माण का कार्य 9 जनवरी 2017 से पूर्व हो गया था, किंतु पत्रावली में सलंग्न कॉन्टेक्ट बॉन्डों के अवलोकन में दूसरा बॉन्ड कार्य समाप्ति के बाद का है.