HIMS जौलीग्रांट में पीजी की सीटें 123 से बढ़कर 127 हुई

  • सुपर स्पेशियलिटी में 12 से बढ़कर 18 सीटें हुई
  • डीएम कार्डियोलॉजी व डीएम क्रिटिकल केयर मेडिसिन में तीन-तीन सीटें मंजूर
  • एमडी एनिस्थियोलॉजी में भी 4 सीटों की बढ़ोत्तरी

डोईवाला: मेडिकल में पीजी और सुपर स्पेशियलिटी कोर्स करने के इच्छुक छात्र-छात्राओं के लिए खुशखबरी है। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परिषद (एनएमसी) ने स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय जौलीग्रांट के हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एचआईएमएस) में डीएम कार्डियोलॉजी व डीएम क्रिटिकल केयर मेडिसिन में तीन-तीन सीटें मंजूर की हैं। इसके साथ ही एमडी एनिस्थियोलॉजी में भी 04 सीटें बढ़ाने की अनुमति प्रदान की है। इसके साथ ही एमडी एनिस्थियोलॉजी में 12 सीटें हो गई हैं।

एचआईएमएस के प्रधानाचार्य डॉ.अशोक देवराड़ी ने बताया कि एनएमसी की टीम कॉलेज व हॉस्पिटल में मौजूद सुविधाओं से संबंधित रिपोर्ट मांगी थी। रिपोर्ट के आधार पर एनएमसी ने एचआईएमएस को डीएम कार्डियोलॉजी व डीएम क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में पीजी (एमडी) कोर्स की तीन-तीन सीटें स्वीकृति की हैं। एमडी एनिस्थियोलॉजी में भी 04 सीटें बढ़ाने की अनुमति प्रदान की गई है। डॉ.अशोक देवराड़ी ने बताया कि नीट-पीजी की सेंट्रलाइज्ड काउंसिलिंग के बाद ही छात्र-छात्राएं मेडिकल कॉलेज की इन सीटों पर प्रवेश पा सकते हैं।

क्रिटिकल केयर व सुपर स्पेशियलटी स्वास्थ्य सेवा में विशेषज्ञों की कमी होगी दूर
प्रिसिंपल डॉ.अशोक देवराड़ी ने कहा कि किसी भी हॉस्पिटल में क्रिटिकल सेवा महत्वपूर्ण होती है। देशभर में क्रिटिकल व सुपर स्पेशियलिटी स्वास्थ्य सेवा मे विशेषज्ञों की कमी है। एचआईएमएस में पीजी व सुपर स्पेशियलटी सीटों पर कोर्स के बाद अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी कुछ दूर हो सकती है।

एचआईएमएस में पीजी में सीटें बढ़कर हुई 127
एनएमसी से स्वीकृति के बाद हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में एमडी एनिस्थियोलॉजी में भी 04 सीटें बढ़ाने की अनुमति प्रदान की है। इसके साथ ही एमडी एनिस्थियोलॉजी में 12 सीटें हो गई हैं। एचआईएमएस में कुल मिलाकर पीजी की सीटें अब 123 से बढ़कर 127 हो गई। वहीं, सुपर स्पेशियलिटी कोर्स में 12 से बढ़कर 18 सीटें हो गई हैं। मेडिकल के छात्र-छात्राओं को इसका फायदा मिलेगा।

कड़े मानकों पर खरा उतरा एचआईएमएस
प्रिसिंपल डॉ.अशोक देवराड़ी ने बताया कि मेडिकल ऐसेमेंट एंड रेटिंग बोर्ड की ओर से स्थापित कड़े मानकों जिसमें विभाग में विशिष्ट नैदानिक सामग्री, अनुपालन रिपोर्ट, ब्लड कंपोनेंट, ब्लड बैंक की उपलब्धता, कार्यात्मक आवश्यक उपकरण, इकाइयों की संख्या, विभाग में बेडो की संख्या व फैकल्टी की संख्या की जांच की गई। कड़े मानकों पर एचआईएमस खरा उतरा। इसके बाद नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की ओर से सीटें बढ़ाने व नए कोर्स शुरू करने की स्वीकृति विश्वविद्यालय को दी गयी है।

एचआईएमस जौलीग्रांट का रहा है गौरवमयी इतिहास
प्रिसिंपल डॉ.अशोक देवराड़ी ने कहा कि कुशल चिकित्सक व गुणवत्तापरक मेडिकल शिक्षा देने के उद्देश्य से वर्ष 1995 में स्थापित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को उत्तर भारत का पहला प्राईवेट मेडिकल कॉलेज होने का गौरव प्राप्त है। साथ ही 1200 बिस्तरों वाले हिमालयन अस्पताल के साथ राज्य का सबसे बड़ा सुपर-स्पेशियलिटी स्नातकोत्तर टीचिंग अस्पताल भी है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *