सत्रहवीं बिहार विधानसभा का चुनाव संपन्न हो चुका है. नतीजे आ चुके हैं. एनडीए ने 125 सीटों के साथ बहुमत हासिल किया और अब सरकार गठन की कवायद शुरू होगी. देश अभी कोरोनावायरस की मार झेल रहा है और ऐसे माहौल में एक बड़ी विधानसभा चुनने के लिए प्रचार पर निकलना एक बड़ी चुनौती और जिम्मेदारी थी, जिसे सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों तरफ के नेताओं ने बखूबी निभाया.
आरजेडी की तरफ से तेजस्वी यादव स्टार प्रचारक रहे, तो कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी मैदान में उतरे, लेकिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण उपस्थिति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रही, जिन्होंने सुनियोजित ढंग से प्रदेश में 12 ऐसी रैलियां की, जिनसे NDA की चुनावी मुहिम को बड़ा बल मिला.
यह समझते हुए कि Covid-19 के चलते लगाए गए लॉकडाउन से बिहारी प्रवासी मजदूरों और नौकरीपेशा लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था. केंद्र और राज्य सरकार, दोनों ने समाज के सबसे गरीब तबके को वित्तीय और खाद्य सहायता चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से बहुत पहले ही देनी शुरू कर दी थी. इसके चलते जब विपक्ष ने सरकार पर अकर्मण्यता का आरोप लगाया, तो उसका अपेक्षित असर नहीं हुआ. यह नतीजों से साफ हो जाता है.
नरेंद्र मोदी के महत्वपूर्ण संदेश
बिहार में जीत के लिए इससे भी बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण नरेंद्र मोदी के वो संदेश थे, जो उन्होंने अपनी रैलियों में जनता को दिए और जिनका मतदाताओं पर पूरा असर हुआ.
इसके साथ ही लालू यादव-राबड़ी देवी के 15 साल के शासनकाल की जंगलराज से तुलना कर प्रधानमंत्री ने न सिर्फ 35 साल से ज्यादा उम्र के वोटर्स को उस काल की परेशान करने वाली घटनाओं और समय की याद दिलाई, बल्कि इस दफा पहली बार वोट डालने वाले युवा मतदाताओं के अभिभावकों को भी खबरदार किया कि युवा पीढ़ी के वोटर्स को उस जमाने की गलतियों को न दोहराने की सलाह दी जाए. जंगलराज के खतरे ने सभी वर्गों और समाज के सभी तबकों के मतदाताओं को सोच समझकर वोट देने के लिए उद्यत किया.
NDA को मिला महिलाओं का भरपूर समर्थन
तेजस्वी यादव ने युवा और बेरोजगार वोटर्स के लिए 10 लाख नौकरियों का वादा किया, तो BJP ने 19 लाख नौकरियों के संकल्प को अपने घोषणापत्र का हिस्सा बना लिया.
NDA को महिलाओं का समर्थन भी भरपूर मिला. 118 विधानसभा क्षेत्रों में महिला वोटरों की संख्या पुरुष वोटरों से ज्यादा रही, क्योंकि पुरुषों के मुकाबले 5 प्रतिशत ज्यादा महिलाएं वोट डालने के लिए बाहर निकलीं. ऐसी सीटों पर बीजेपी का स्ट्राइक रेट यानि सीट जीतने की क्षमता भी महागठबंधन की पार्टियों से कहीं अधिक रही.
बिहार विधानसभा के चुनाव के नतीजों से तो यही लगता है कि वोटर्स को विपक्ष के मुकाबले प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए द्वारा किये गए वादों पर अधिक विश्वास रहा. प्रधानमंत्री पर जनता का विश्वास 11 राज्यों में साथ-साथ हुए उपचुनावों के नतीजों से भी पता लगता है. 59 सीटों पर उपचुनाव हुए और BJP ने इनमें से 41 जीत लीं, जिनमें 31 सीटें BJP ने कांग्रेस से छीनी हैं.
उपचुनाव में भी बजा बीजेपी का डंका
मध्य प्रदेश में 28 में से 19, गुजरात में 8 में से 8, मणिपुर में 5 में से 4, उत्तर प्रदेश में 7 में से 6, कर्नाटक में दोनों और तेलंगाना में एक सीट बीजेपी की झोली में गिरी. सिर्फ हरियाणा, छत्तीसगढ़ और झारखंड ऐसे राज्य थे, जहां कांग्रेस एक-एक सीट जीत पाई.
एक तरह से देखें तो ये 59 उपचुनाव प्रधानमंत्री की लोकप्रियता और विश्वसनीयता पर रायशुमारी सरीखा थे, क्योंकि चुनावों में वही बीजेपी और एनडीए का मुख्य चेहरा होते हैं. कल रात मिले नतीजे साफ करते हैं कि इस वक्त देश में नरेंद्र मोदी की टक्कर का कोई और नेता नहीं है.
मार्केटिंग की भाषा में बोलें, तो नरेंद्र मोदी बीजेपी और एनडीए के सबसे विश्वसनीय ब्रैंड बन गए हैं. एक तगड़ा ब्रैंड, जहां प्रोडक्ट की गुणवत्ता की गारंटी होती है, वहीं है, अगर कुछ वजहों से उत्पाद में खामी निकल आये, तो ब्रैंड को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.
अब इन राज्यों में फतह की तैयारी
बीजेपी भारत के उत्तरी, पश्चिमी और मध्यवर्ती राज्यों में स्वयं को मजबूत कर चुकी है. अभी बिहार में मिली बड़ी सफलता उसे पूर्वी राज्यों में अपनी स्थिति पुख्ता करने में मदद करेगी. हालांकि, असम, त्रिपुरा और पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों में पार्टी अभी सत्ता में है, लेकिन जमीन पर उसे मजबूत होना अभी बाकी है.
अगले वर्ष अप्रैल-मई में बंगाल, असम, तमिल नाडु, पुडुचेरी और केरल में विधानसभा चुनाव होंगे. इनमें बंगाल को जीतना बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी, जो ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस का मजबूत किला है और असम में उसे फिर सत्ता पाने के लिए संघर्ष करना होगा.
इसके बाद दक्षिण भारत के चार राज्य बचेंगे, जहां अभी बीजेपी को पैर जमाना बाकी है. तभी उसका पूरे भारत में प्रभाव रखने वाली पार्टी का सपना पूरा होगा. जाहिर है इस सपने को वास्तविकता में बदलने के लिए ब्रैंड नरेंद्र मोदी ही पार्टी का सबसे विश्वसनीय माध्यम होगा.