रानीखेत (अल्मोड़ा)। सहकारी श्रमिक संघ और अन्य संगठनों की बैठक में कोऑपरेटिव ड्रग फैक्ट्री (सीडीएफ) की बदहाली पर चिंता जताई गई। कहा कि सरकार और नौकरशाही इस संस्थान की सुध नहीं ले रही है, जिस कारण यहां कर्मचारियों की संख्या सीमित होकर रह गई है। अध्यक्ष मोहन नेगी ने कहा कि उपेक्षा के चलते महत्वपूर्ण संस्थान को निजी संस्था को बेचने की साजिश चल रही है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। तय हुआ कि शीघ्र ही शिष्टमंडल देहरादून जाकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से मुलाकात करेगा।
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि पहाड़ में रोजगार सृजन के उद्देश्य से यहां गनियाद्योली में सीडीएफ की स्थापना हुई। दो दशक पहले तक यहां तीन-चार सौ कर्मचारियों का स्टाफ था, दवाओं का भी उत्पादन होता था। अब कर्मचारियों की संख्या 25 से कम रह गई है। यहां उत्पादों का उत्पादन भी बंद हो गया है। यहां के उत्पादों को अब हल्द्वानी इकाई में उत्पादित किया जा रहा है। अध्यक्ष नेगी ने कहा कि संस्था को निजी संस्था के हाथों में सौंपने की तैयारी की जा रही है, जो बर्दाश्त नहीं होगा।
पूर्व दर्जा राज्यमंत्री नरेंद्र रौतेला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वोकल फॉर लोकल नीति का आह्वान किया है। इसके तहत स्थानीय सहकारी उत्पादक समूह गठित कर इस संस्थान को संचालित करना चाहिए। इसकी जिम्मेदारी कर्मचारियों और विशेषज्ञों को सौंपी जानी चाहिए। वक्ताओं ने कहा कि कुछ नौकरशाह हिमालयी औषधीय वनस्पतियों की धरती पर बने इस संस्थान को नहीं पनपने दे रहे हैं। बैठक में महामंत्री खुशाल डोगरा, हर्ष रौतेला, विकाश चंद्र, हरि प्रसाद ने चयन वेतनमान आदि समस्याएं सुलझाने की मांग की। वहां रमेश जोशी, त्रिभुवन शर्मा, पावस जोशी, ललित जोशी आदि रहे।