महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga) के क्षरण मामले में सुप्रीम कोर्ट से गर्भगृह में प्रवेश रोकने की मांग पर सोमवार को सुनवाई हुई थी, जिसपर शुक्रवार यानि आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है. जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि मंदिर प्रबंध समिति को उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में शिवलिंग को संरक्षण देने के निर्देश दिए हैं, क्योंकि शिवलिंग का क्षरण हो रहा है.
जस्टिस अरुण मिश्रा ने फैसला सुनाने के बाद कहा कि शिव की कृपा से यह भी फैसला हो गया. दरअसल, जस्टिस अरुण मिश्रा कल यानि बुधवार को रिटायर हो रहे हैं. जस्टिस अरुण मिश्रा द्वारा सुनाया गया किसी मामले पर यह आखरी फैसला था. जस्टिस अरुण मिश्रा ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए शिवलिंग के संरक्षण को लेकर कई निर्देश दिए हैं.
शिवलिंग के संरक्षण के लिए विभिन्न निर्देश –
1. शिवलिंग को किसी भी तरह से रगड़ा नहीं जाना चाहिए.
2. किसी भी भक्त को शिवलिंग को रगड़ने की अनुमति नहीं है.
3. दही, घी और शहद को शिवलिंग पर घिसना भी बंद कर देना चाहिए और केवल शुद्ध दूध ही शिवलिंग पर डाला जाना चाहिए.
4. अगर पुजारी या पुरोहित द्वारा कोई उल्लंघन पाया जाता है, तो मंदिर समिति उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी.
5. मंदिर समिति अपने संसाधनों और शुद्ध पानी से शुद्ध दूध उपलब्ध कराएगी.
2017 से चल रहा था कोर्ट में मामला
बता दें कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के क्षरण का मामला 2017 से सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था. एक याचिका दायर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञों की एक समिति गठित कर मंदिर का निरीक्षण करवाया था. इसके बाद महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के क्षरण को रोकने के लिए महाकाल मंदिर समिति द्वारा किए जा रहे उपायों से संबंधित रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई थी.
याचिकाकर्ता के वकील ने मंदिर समिति की रिपोर्ट पर असंतोष जताया और कहा कि ज्योतिर्लिंग के क्षरण को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. इस दौरान याचिकाकर्ता द्वारा मंदिर के गर्भगृह में श्रद्धालुओं का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित करने की मांग भी रखी गई थी.