देहरादून (नेटवर्क 10 संवाददाता)। उत्तराखंड में प्रवासियों के आने का सिलसिला लगातार जारी है, लकिन कोरोना जांच की रफ्तार उतनी ही ढीली है। लॉकडाउन का चौथा चरण शुरू हो चुका है और नई गाइडलाइन्स जारी की गई हैं। उत्तराखंड में लगातार प्रवासी लौट रहे हैं, लेकिन उनकी सैंपलिंग उस तरीके से नहीं हो रही है जैसी होनी चाहिए।
पिछले 14 दिन में उत्तराखंड में करीब एक लाख लोग लौट चुके हैं। आंकड़ों के मुताबिक 14 दिन में प्रदेश में 98 हजार से ज्यादा प्रवासी लौटे हैं। प्रवासियों के लौटने के साथ प्रदेश में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा भी बढ़ा है। इस दौरान कोरोना के जो भी नए मामले सामने आए हैं, वह बाहरी राज्यों से ही लौटे हुए लोग हैं। लेकिन अगर जांच की रफ्तार बढ़ाई जाए तो ये आंकड़ा कई अधिक हो सकता है। बाहरी राज्यों से आने वालों का आंकड़ा एक लाख के करीब पहुंच रहा है। लेकिन इसके सापेक्ष 3813 सैंपल की ही कोरोना जांच हुई है। इसमें भी देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल व ऊधमसिंह नगर जिलों का प्रतिशत ज्यादा है। नौ पर्वतीय जिलों में जांच की रफ्तार अब भी धीमी है।
जो लोग बाहरी राज्यों से लौटे हैं उनममें वो लोग भी शामिल हैं जो उन शहरों से आए हैं जहां कोरोना संक्रमण बहुत ज्यादा है। इनमें वह लोग भी शामिल हैं, जो महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली व अन्य राज्यों के रेड जोन से भी लौटे हैं। सरकार का दावा है कि बाहरी राज्यों से अब तक दो लाख 23 हजार से अधिक प्रवासियों ने घर वापसी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया हुआ है। इसके अलावा लोग खुद भी चोरी-छिपे उत्तराखंड पहुंच रहे हैं।
इधर प्रशासन बार बार निर्देश दे रहा है कि लोग होम क्वारंटाइन रहें और बाहर न निकलें, किसी के संपर्क में न आएं। निर्देशों का पालन न करने वालों के खिलाफ आपदा कानून के तहत मामले भी दर्ज किए जा रहे हैं। इसके बावजूद पहाड़ों में स्थिति नहीं संभल रही है। बाहर से आने वाले लोग क्वारंटाइन के नियम तोड़ रहे हैं, ऐसी शिकायतें लगातार मिल रही हैं। ऐसे लोग खुद तो खतरा मोल ले ही रहे हैं, दूसरों को भी खतरे में डाल रहे हैं।