हरिद्वार। उत्तराखंड पुलिस का सिरदर्द बढ़ा रहे दूसरे राज्यों के कुख्यातों को उनके मूल राज्यों में भेजने की तैयारी शुरू हो गई है। आइजी जेल एपी अंशुमान ने प्रदेश भर की जेलों में बंद ऐसे कुख्यातों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं, जो लंबे समय से उत्तराखंड में जमे हुए हैं। इनमें बड़ी तादाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कैदियों की है।
उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के अपराधियों के लिए उत्तराखंड राज्य वजूद में आने के बाद से ही सॉफ्ट टारगेट रहा है। अपराध के साथ-साथ जेलों में ऐश करने के लिहाज से भी उत्तराखंड कुख्यातों के लिए मुफीद साबित हो रहा है। दरअसल, प्रदेश की जेलों की स्थिति कई मायनों में उत्तर प्रदेश आदि राज्यों की जेलों से बेहतर है। यहां खान-पान से लेकर कैदियों के रखरखाव के इंतजाम दूसरे राज्यों की जेलों से ठीक हैं। जेलों में कैदियों की संख्या क्षमता से अधिक होना और स्टाफ की कमी होना भी कुख्यातों के लिए फायदे का सौदा बनता है। वह आसानी से अपनी मनमानी चलाने में कामयाब हो रहे हैं।
उप्र के अपराधी, कर्मस्थली उत्तराखंड
कुख्यात सुनील राठी, संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा, सुशील मूंछ सरीखे अपराधियों ने उत्तर प्रदेश का मूल निवासी होने के बावजूद उत्तराखंड को अपनी कर्मस्थली बनाया हुआ है। हरिद्वार जिले में रंगदारी के सबसे ज्यादा मुकदमे इन्हीं कुख्यातों पर दर्ज चले आ रहे हैं। हालांकि उत्तराखंड की जेलों में लंबा वक्त बिताने के बाद फिलहाल राठी और जीवा उत्तर प्रदेश की अलग-अलग जेलों में बंद हैं। जीवा, राठी व मूंछ के बाद रुड़की निवासी प्रवीण वाल्मीकि, नरेंद्र वाल्मीकि, चीनू पंडित आदि राठी व जीवा से अलग गैंग बनाकर रंगदारी मांगने लगे।
आइजी जेल एपी अंशुमान ने बताया कि प्रदेश की जेलों में बंद उत्तर प्रदेश सहित दूसरे राज्यों के कुख्यात कैदी प्रदेश की शांति व कानून व्यवस्था और जेल प्रशासन के लिए मुसीबतें खड़ी कर रहे हैं। ऐसे कैदियों को चिह्नित करने के निर्देश दिए गए हैं। संबंधित राज्यों से पत्राचार कर कैदियों को उनके मूल राज्यों में भेजा जाएगा।