नैनीताल (नेटवर्क 10 संवाददाता)। उत्तराखंड सरकार ने कहा है कि कर्मकार बोर्ड में कोई गबन नहीं हुआ। बीस करोड़ की राशि गलती से बोर्ड ने किसी और कंपनी को दे दी थी जो कि वापस सरकारी खाते में आ चुकी है। यह जवाब सरकार ने हाईकोर्ट में दाखिल किया है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने भवन एवं सन्निर्माण कल्याण बोर्ड में भ्रष्टाचार के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की। मामले में सरकार ने जांच रिपोर्ट दाखिल करते हुए बताया कि 20 करोड़ की रकम बोर्ड की लापरवाही के कारण किसी दूसरी कंपनी को दे दी गई, जो अब सरकारी खाते में आ चुकी है। 20 करोड़ का गबन नहीं हुआ है।
बोर्ड के जिन अधिकारियों की लापरवाही से यह हुआ है, उनके खिलाफ उत्तराखंड सरकारी सेवक अनुशासनिक संशोधित नियमावली 2010 के प्राविधानों के तहत कार्रवाई की जा रही है। सरकार ने स्पष्ट किया कि विभागीय जांच बैठा दी गई है। इसमें तत्कालीन सचिव भवन एवं सन्निर्माण कल्याण बोर्ड दमयंती रावत, कर्मचारी राज्य बीमा योजना के मुख्य चिकित्साधिकारी डा. आकाशदीप व मुख्य फार्मासिस्ट बीएन सेमवाल, श्रम विभाग के वरिष्ठ सहायक नवाब सिंह शामिल हैं। कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई दस नवंबर नियत कर दी।