देहरादून: कोरोना संकट से जूझ रहे उत्तराखंड के परिवहन कारोबारियों को तीरथ सरकार ने बड़ा झटका दे दिया लेकिन इससे आम जनता को राहत भी मिली है। सरकार ने 50 फीसदी यात्री क्षमता के साथ वाहन संचालन का नियम लागू करने के बाद सरकार ने किराया बढ़ोतरी नहीं करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की स्वीकृति के बाद परिवहन विभाग ने शुक्रवार को इस बाबत आदेश जारी कर दिया। कोरोना की रोकथाम के लिए सरकार ने गत 20 अप्रैल को राज्य में चलने वाले सभी बस, विक्रम, आटो, टैक्सी, मैक्सी आदि सार्वजनिक वाहनों में यात्री क्षमता को घटाकर 50 फीसदी कर दिया था। पिछले साल कोरोना काल में भी सरकार ने ऐसा ही निर्णय किया था। हालांकि तब जून 2020 में यात्री सीमा के अनुसार, किराया दोगुना कर दिया गया था।
इस बार भी परिवहन आयुक्त ने पिछले साल की तर्ज पर किराया बढ़ाने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा था। एक हफ्ते से यह प्रस्ताव सीएम कार्यालय में था। अब सीएम कार्यालय से निर्देश मिलने के बाद अपर सचिव परिवहन आनंद श्रीवास्तव ने परिवहन आयुक्त को भेजे पत्र में बताया है कि सरकार ने किराया वृद्धि का प्रस्ताव खारिज कर दिया है। दूसरी तरफ, सरकार के इस फैसले से वाहन ऑपरेटर सकते में हैं। उनका कहना है कि आधी क्षमता में सामान्य किराये पर गाड़ी चलाना उनके बस में नहीं है।
राज्य की दो प्रमुख बस ऑपरेटर यूनियन जीएमओयू और केएमओयू ने बसों को सरेंडर करने का ऐलान कर दिया है। केएमओयू के अध्यक्ष सुरेश डसीला ने कहा कि जिस प्रकार सरकार ने यात्री क्षमता आधी है, उसी प्रकार डीजल और टायरों का दाम भी आधा कर दे। टैक्स और बीमा को भी आधा कर दिया जाए तो किसी को वाहन चलाने में आपत्ति नहीं होगी? वर्ना तो अब बसों को खड़ा करना ही अंतिम रास्ता रह गया है।
10 दिन से दोगुना किराया वसूल रहे वाहन
बीती 20 अप्रैल को यात्री क्षमता 50 प्रतिशत करने के आदेश के अगले दिन से ही सभी वाहनों ने किराया दोगुना कर दिया था। इसके पीछे तर्क था कि पिछले साल भी सरकार ने यात्री क्षमता घटाई थी और किराया बढ़ा दिया था इसलिए वह आदेश अब भी लागू होगा। विधिवत आदेश के बिना किराया वृद्धि अवैध थी। अब सरकार ने विधिवत रूप से किराया न बढ़ाने का फैसला ले लिया है। ऐसे में परिवहन विभाग पर जिम्मेदारी होगी कि वो यह सुनिश्चित करे कि यात्रियों से सामान्य किराया ही लिया जाए। सूत्रों के अनुसार, परिवहन अधिकारी भी सरकार के फैसले से परेशान है। उनका कहना है कि आधे यात्रियों के साथ सामान्य किराया लेने के लिए दबाव बनाने पर टकराव की नौबत आ सकती है।
आधी सवारियों के साथ बसों को सामान्य किराये पर चलाना कतई मुमकिन नहीं है। सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए। डीजल से जीएसटी हटाए, एक साल का टैक्स खत्म करे और हर बस मालिक को 15 हजार रुपये मेंटिनेंस के लिए दे वर्ना बसों को सरेंडर कर देंगे।
जीत सिंह पटवाल, अध्यक्ष, जीएमओयू
ये परिवहन कारोबारियों के साथ नाइंसाफी है। बस दोगुने किराये पर चल रही थी तो भी यात्रियों को दिक्कत नहीं थी। अब हमारे पास वाहन सरेंडर करने के सिवा कोई रास्ता नहीं है। इस फैसले से आमजन को ही नुकसान है। उन्हें कई गुना ज्यादा रकम पर वाहन बुक कराने पड़ेंगे।
सुरेश डसीला, अध्यक्ष, केएमओयू
मुख्यमंत्री से पुनर्विचार का अनुरोध करेंगे परिवहन मंत्री: यात्री क्षमता घटाने के बावजूद किराया नहीं बढ़ने के मुद्दे पर परिवहन मंत्री यशपाल आर्य भी गंभीर हैं। आर्य ने शुक्रवार को ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में कहा कि यह गंभीर विषय है। इस पर वो मुख्यमंत्री तीरथ रावत के साथ चर्चा करेंगे। मुख्यमंत्री के सामने परिवहन कारोबारियों की दिक्कतों को रखा जाएगा।