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- जहां जाने मात्र से ही संवर जाती है बिगड़ी तकदीर
- एप्पल और फेसबुक के मालिक समेत दुनियाभर में है भक्त
- अलौकिक शक्तियों के स्वामी थे नीब करौरी बाबा
हल्द्वानी: भारत में कई ऐसे पावन तीर्थ हैं, जहां पर श्रद्धा एवं भक्ति के साथ जाने मात्र से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। उत्तराखंड के नैनीताल जिले से करीब 65 किमी दूर कैंची धाम श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। कैंची धाम के नीब करौरी बाबा की ख्याति विश्व भर में हैं।
मान्यता है कि यहां आने वाला व्यक्ति कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटता। यही वजह है कि देश – विदेश से लाखों श्रद्धालु कैंची धाम पहुंचते हैं। बाबा के भक्तों का मानना है कि बाबा हनुमान जी के अवतार थे। मान्यता है कि बाबा नीब करौरी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चामत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं।
हर साल 15 जून को कैंची धाम में एक विशाल मेले व भंडारे का आयोजन होता है। इसे दरअसल कैंची धाम स्थापना दिवस के रुप में मनाया जाता है। आपको बता दें कि बाबा नीब करौरी ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था।
बाबा नीब करौरी आडंबरों से दूर रहते थे, न तो उनके माथे पर तिलक होता था और न ही गले में कंठी माला। एक आम आदमी की तरह जीवन जीने वाले बाबा अपना पैर किसी को नहीं छूने देते थे। यदि कोई छूने की कोशिश करता तो वह उसे श्री हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे। बाबा के भक्तों में एक आम आदमी से लेकर अरबपति-खरबपति तक शामिल हैं। बाबा के भक्त और जाने-माने लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में बाबा नीब करौरी के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन है।
माना जाता है कि बाबा नीब करौरी गर्मी के दिनों में कैंची धाम आकर रहते थे। उन्हें यह स्थल बहुत प्रिय था। बाद में यहां हनुमान मंदिर का निर्माण कराया गया। हनुमान मंदिर में अन्य देवी देवताओं की मूर्तियों सहित बाबा नीब करौरी की भी विशाल मूर्ति है। पूरी दुनिया में बाबा नीब करौरी का 108 आश्रम है। इन आश्रमों में कैंची धाम सबसे बड़ा है।
कैंची धाम में बाबा नीब करौरी के कई तरह के चमत्कार जुड़े हैं। बताया जाता है- एक बार भंडारे के दौरान कैंची धाम में घी की कमी पड़ गई थी। बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया। उसे प्रसाद बनाने हेतु जब उपयोग में लाया गया तो वह जल घी में बदल गया।
एक बार बाबा नीब करौरी महाराज ने अपने भक्त को गर्मी की तपती धूप में बचाने के लिए उसे बादल की छतरी बनाकर, उसे उसकी मंजिल तक पहुंचवाया। ऐसे न जाने कितने किस्से बाबा और उनके पावन धाम से जुड़े हुए हैं, जिन्हें सुनकर लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं।
बाबा नीब करौरी अक्सर गर्मियों में कैंची धाम में आकर रहते थे। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान का भव्य मन्दिर बनवाया। यहां बाबा नीब करौरी की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित की गयी है। बाबा नीब करौरी महाराज के देश-दुनिया में 108 आश्रम हैं। इन आश्रमों में सबसे बड़ा कैंची धाम और अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है।
बाबा के भक्तों में एक आम आदमी से लेकर अरबपति-खरबपति तक शामिल हैं। बाबा के इस पावन धाम में होने वाले नित-नये चमत्कारों को सुनकर दुनिया के कोने-कोने से लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं। बाबा के भक्त और जाने-माने लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में बाबा नीब करौरी के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन है।
जो लोग मोबाइल के बारे में थोड़ा बहुत भी जानते हैं वो निश्चित रूप से ‘एप्पल’ और ‘फेसबुक’ के संस्थापक स्टीव जॉब्स और मार्क जकरबर्ग के बारे में भी जरूर जानते होंगे।
इन दोनों कंपनियों को विश्व की श्रेष्ठ कंपनियों के रूप में स्थापित करने में बाबा नीम करोली के आशीर्वाद और प्रेरणा की बहुत बड़ी भूमिका रही है। आपको ये जानकर बहुत आश्चर्य होगा कि स्टीव जॉब्स कैंची धाम में कुछ दिन रहकर साधना भी की है। हालांकि स्टीव जॉब्स के कैंची धाम पहुंचने के कुछ ही महीने पहले महाराज जी ने 10 सितंबर 1973 को समाधि ले ली थी।
जबकि मार्क जकरबर्ग अपने जीवन के सबसे बुरे दौर से गुजरते वक्त स्टीव जॉब्स के कहने पर वहां बाबा के आश्रम जाकर उनका आशीर्वाद लिया था।