उत्तराखंड में कुमाऊं की पारंपरिक लोक कला ऐपण अब प्रदेश के हर दफ्तर में दिखाई देगी. सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की नेम प्लेट से लेकर विभागों में अधिकारियों की नेम प्लेट भी ऐपण कला में ही तैयार की गई है. फिलहाल मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल के बाद अल्मोड़ा की बेटियां ऐपण कला में तमाम विभागों के लिए नेम प्लेट का बोर्ड तैयार कर रही हैं.
उत्तराखंड की ऐपण कला
यूं तो उत्तराखंड की यह प्राचीन लोक कला ऐपण घरों के आंगन और दीवारों की शोभा बढ़ाने के लिए प्रयोग की जाती थी, लेकिन अब इस कला को और आकर्षक और व्यापक रूप दिया गया है. मौजूदा समय में इस कला का उपयोग व्यवसायिक रूप से भी किया जा रहा है. इसमें युवा वर्ग ने इस कला को रोजगार के लिहाज से अपनाते हुए फाइल फोल्डर और कवर से लेकर टैक्सटाइल इंडस्ट्री तक भी इस कला का उपयोग किया जा रहा है. राज्य सरकार की ओर से भी युवाओं को इस कला का प्रशिक्षण देने के लिए हस्तशिल्प और हथकरघा बोर्ड को जिम्मेदारी दी गई है.
उत्तराखंड में रियासत काल से ही यह लोक कला चली आ रही है, खास तौर पर धार्मिक अनुष्ठानों शादी समारोह और कुछ खास मौकों के साथ त्योहारों पर मिट्टी से आंगन और दीवारों में पारंपरिक ऐपण कला के जरिए सुसज्जित का काम किया था. हालांकि अब स्टेशनरी से लेकर नेम प्लेट चाबी के छल्ले, टेक्सटाइल और बर्तनों तक में इस कला को उतारा जा रहा है. उधर उत्तराखंड का पर्यटन विभाग भी इस कला को हाथों-हाथ ले रहा है और राज्य के पर्यटक स्थलों पर भी इस कला की छाप दिखाई दे रही है. इस बढ़ते प्रचलन का ही कारण है कि बाजार में ऐपण डिजाइन से तैयार उत्पादों की मांग बढ़ रही है. यह कला खासतौर पर कुमाऊं में दिखाई देती है लिहाजा अल्मोड़ा और हल्द्वानी इसके लिए हब के रूप में स्थापित हो रहे हैं.