नैनीताल (नेटवर्क 10 संवाददाता)। पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधा दिए जाने वाले अधिनियम 2019 को नैनीताल हाईकोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है। आपको बता दें कि पिछले दिनों उत्तराखंड सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को राहत देने के लिए ये सुविधा दी थी। इसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को पहले प्रदेश में बंगला और गाड़ी दी जाती थी जिसका खर्च राज्य संपत्ति विभाग देता था। यानि पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास की सरकारी सुविधा दी गई थी। हाईकोर्ट ने इस सुविधा को खत्म कर दिया था।
उत्तराखंड के कई मुख्यमंत्रियों के ऊपर सरकारी बंगलों का लाखों रुपरये का किराया बाकी है। इस संबंध में कुछ पूर्व मुख्यमंत्रियों ने किराया जमा करा दिया था लेकिन कुछ ने असमर्थता जताई थी। इसके बाद सरकार इनको राहत देने के लिए नया नियम लाई। नैनीताल हाईकोर्ट ने अब साफ कहा है कि ये अधिकनयम असंवैधानिक है। अब जिन पूर्व मुख्यमंत्रियों ने किराया जमा नहीं किया है उनको ये रकम जमा करनी होगी। आपको बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी तो कोर्ट तक की शरण में चले गए थे और कहा था कि वे किराया देने मेें असमर्थ हैं।
नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि न्यायालय ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन मानते हुए यह निर्णय दिया है। इस मामले में कोर्ट ने कहा कि अधिनियम के प्रावधान स्थापित नियमों का उल्लंघन करते हैं। न्यायालय ने अधिनियम को भारत के संविधान के अनुच्छेद 202 से 207 के उल्लंघन में भी पाया है। अब सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को बाजार मूल्य से किराए का भुगतान करना होगा।
कोर्ट ने कहा कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों के रूप में उन्हें दी गई अन्य सभी सुविधाओं के लिए खर्च किए गए धन की गणना करने और उसकी वसूली के लिए राज्य उत्तरदायी होगा। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष मामले में सुनवाई के बाद 23 मार्च 2020 को निर्णय सुरक्षित रख लिया था। मामले के अनुसार देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर राज्य सरकार के उस ऑर्डिनेंस को चुनौती दी थी।