देहरादून: राजधानी को जाम से बचाने के लिए शहर में कई फ्लाईओवर का निर्माण कराया गया था. ताकि लोगों को आवागमन में आसानी हो. देहरादून का प्रसिद्ध मोहकमपुर फ्लाईओवर का निर्माण जिसका निर्माण महज दो साल पहले हुआ था, यह अभी से ही धंसने लगा है.
किसी शहर की अगर आधुनिकता देखनी हो तो उस शहर के फ्लाईओवर और एलिवेटेड सड़कें सबसे पहले नजर जाती है. देहरादून शहर को आधुनिक बनाने में भी कुछ फ्लाईओवर की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका है. बेशक इन फ्लाईओवर के ऊपर चलते हुए आप यह महसूस करेंगे कि आप एक बड़े और हाईटेक शहर में रह रहे हैं और यह एहसास होना जरूरी भी है क्योंकि यह प्रदेश की राजधानी है, लेकिन इन फ्लाईओवर की जो गुणवत्ता है, उसका आकलन आज कुछ समय बाद होने लगा है. इससे यह अंदाजा लगाना भी आसान है कि अगर राजधानी देहरादून में ही सरकार की नाक के नीचे ये हालात हैं तो प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों में होने वाले निर्माण कार्यों की गुणवत्ता किस तरह की होगी.
धंसने लगा फ्लाईओवर, लोग परेशान
दरअसल, देहरादून शहर में प्रवेश कराने वाले मोहकमपुर फ्लाईओवर को उद्घाटन के समय अटल सेतु नाम दिया गया था. यह पुल अगले महीने 2 साल पूरा करने जा रहा है, लेकिन उससे पहले इस फ्लाईओवर की हालत पर नजर डाले तो दोनों ओर एप्रोच पूरी तरह से धंसने लगी है. दोनों तरफ से फ्लाईओवर पर फर्राटा भरते हुए आपको खूब हिचकोले खाने पड़ेंगे. यह दिखाता है कि इसमें कितनी गुणवत्ता से काम किया गया है. यही, नहीं काम करने वाली प्राइवेट एजेंसी ने किस तरह से सरकारी मशीनरी की आंखों में धूल झोंकी है. वह भी इन हालातों को देखकर समझा जा सकता है.
मोहकमपुर फ्लाईओवर के आसपास रहने वाले लोगों से जब हमने बातचीत की और जानने की कोशिश की, कि फ्लाईओवर बनने के बाद उनके जीवन में कितना बदलाव आया है. हमें उम्मीद थी कि फ्लाईओवर बनने के बाद लोग बेहद खुश होंगे, लेकिन जब हमने इस बारे में पूछा तो लोगों ने तमाम समस्याएं हमारे सामने रख दी. लोगों ने बताया कि फ्लाईओवर जब बना था तो उन्हें उम्मीद थी कि आगामी 10 से 15 साल तक उन्हें किसी भी तरह की कोई समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा, लेकिन अभी फ्लाईओवर बने हुए करीब दो साल ही हुए हैं और अभी से जलभराव, फ्लाईओवर के ऊपर गड्ढे और फ्लाईओवर से पानी का रिसाव शुरू हो गया है. लोगों द्वारा बार-बार विभागों में भी यह जानकारी दी, लेकिन उसके बावजूद भी कोई सुध नहीं ली जा रही है. यही नहीं फ्लाईओवर के नीचे एक अस्थाई वेंडर जोन भी बनाया गया है. जिसकी वजह से लोग बेहद परेशान हैं क्योंकि बरसात के समय में फ्लाईओवर के नीचे पूरा पानी भर जाता है.
फ्लाईओवर निर्माण में 19 करोड़ की हुई थी बचत
कई सालों की मेहनत के बाद अक्टूबर 2018 में बनकर तैयार हुए इस फ्लाईओवर की प्रस्तावित लागत शुरू में 60 करोड़ आंकी गई थी. हालांकि, फ्लाईओवर पूर्व की सरकार में प्रस्तावित था, लेकिन मौजूदा सरकार में इसके निर्माण को रफ्तार देते हुए कम समय में इसे तैयार कर 60 करोड़ की जगह 41 करोड़ में बनाकर तैयार कर लिया. 60 करोड़ का फ्लाईओवर 41 करोड़ में बनकर तैयार हो गया. समय से पहले और प्रस्तावित लागत से कम में बनकर तैयार इस फ्लाईओवर को लेकर उस समय सरकार ने खूब वाहवाही भी लूटी थी, लेकिन आज जो तस्वीरें सामने आ रही है, वो कहीं ना कहीं सरकार को आईना दिखाने का काम कर रही है.