(नेटवर्क 10 संवाददाता ): उत्तराखंड के पहाड़ों में इन दिनों सेब और नाशपाती की भरपूर पैदावार हुई है. लेकिन कोरोना संकट के चलते पहाड़ के सेब और नाशपाती के दाम मंडियों में नहीं मिल पा रहे हैं, जिसके चलते यहां के सेब और नाशपाती उत्पादक परेशान हैं. किसानों के सेब और नाशपाती स्थानीय मंडी तक तो आ तो रहे हैं, लेकिन अंतरराज्यीय मंडियों में इनकी मांग नहीं होने के चलते रेट नहीं मिल पा रहा हैं.
दरअसल, देश के कई मंडियों और शहरों में लॉकडाउन के चलते बाहरी राज्यों के व्यापारी उत्तराखंड के मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. ऐसे में पहाड़ के रसीले सेब और नाशपाती की डिमांड खत्म हो गई है. जिसके चलते किसानों और मंडीकर्मियों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं हल्द्वानी मंडी फल सब्जी एसोसिएशन के अध्यक्ष जीवन सिंह कार्की के मुताबिक हर साल उत्तराखंड के सेब और नाशपाती की डिमांड प्रदेश के अन्य मंडियों में खूब हुआ करती थी. लेकिन वर्तमान में कोरोना के चलते सेब और नाशपाती पर इसका काफी असर पड़ा है.
हल्द्वानी मंडी से बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, झारखंड,छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में यहां के सेब और नाशपाती भारी डिमांड रहती है. लेकिन इस बार कोरोना संकट के चलते कई शहरों में लॉकडाउन है, जिसके चलते अंतरराज्यीय मंडियों में डिमांड नहीं है. साथ ही व्यापारी खरीदारी के लिए भी नहीं आ रहे हैं, ऐसे में पहाड़ के सेब और नाशपाती के रेट काफी गिर चुके हैं. जिसके चलते पहाड़ के सेब नाशपाती उत्पादकों साथ-साथ मंडी कारोबारियों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. पहले नाशपाती और सेब के सीजन में रोजाना करीब 200 गाड़ी फल बाहरी मंडियों को भेजा जाता था. वो अब घटकर अब 80 से 100 गाड़ी रह गया है.
वहीं झारखंड से पहुंचे फल व्यापारियों का कहना है कि उनके राज्य में कोरोना संकट के चलते कई शहरों में लॉकडाउन लगा हुआ है. जिससे छोटे फल की दुकानें नहीं लग पा रही हैं. उत्तराखंड की मंडियों से माल लेकर तो जा रहे हैं, लेकिन वहां बिक्री न होने के चलते घाटा उठाना पड़ रहा है.
गौरतलब है कि उत्तराखंड के सेब पिछले साल होलसेल मंडी में जहां ₹60 से लेकर ₹70 किलो बिक रहा था तो वहीं इस साल 30 से ₹35 किलो बिक रहा है. जबकि नाशपाती पिछले साल 30 से ₹35 किलो तक बिका, जबकि इस साल केवल ₹15 से ₹20 किलो ही बिक रहा है.