पिथौरागढ़ (नेटवर्क 10 संवाददाता)। लॉकडाउन में जंगली जानवरों के व्यवहार में कई तरह के अंतर देखने को मिले हैं और लगातार मिल रहे हैं। एक तरफ पर्यावरण शोरमुक्त हो गया है और जंगली जानवर बेखौफ होकर विचरण करने लगे हैं और दूसरी तरफ घर आंगन में पक्षियों की चहचहाट खूब सुनाई दे रही है। इसी कड़ी में उत्तराखंड में जंगली जानवर लॉकडाउन के दौरान बस्तियों में भी विचरण कर रहे हैं।
वैसे तो उत्तराखंड के वीरान पड़े पहाड़ो में अक्सर तेंदुओं की आमद रहती है, लेकिन इन दिनों पहाड़ में भी प्रवासी हजारों की तादात में पहुंचे हैं। तब भी यहां तेंदुओं का विचरण दिख रहा है। लॉकडाउन में सन्नाटे की वजह से तेंदुए और भालू अक्सर आबादी में घुस आ रहे हैं।
कुछ दिन पहले नैनीताल जिले के रानीबाग में बाघ सड़क पर घूमते दिखा था। वो कैमरे में कैद हो गया था। बुधवार को रात बागेश्वर में तेंदुआ कोतवाली परिसर में धमक गया। वहीं बागेश्वर जिले के ही ठाकुरद्वारा के नीलेश्वर में तेंदुए के जोड़े में दिखने से दहशत का माहौल है। यही हाल पिथौरागढ़ जिले का है। वहां भी तेंदुए और भालू का आतंक है।
इधर, कुछ जगहों पर दिन में भी तेंदुओं की दहाड़ सुनाई दे रही है। पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय के निकटवर्ती किरगांव में तेंदुए की दहाड़ से ग्रामीण सहमे हैं तो धारचूला में नेपाल सीमा से लगे पांगला गांव में अपने दो बच्चों के साथ भालू गांव की सीमा में घूमता है। किरगांव मेंं गांव से लगे जंगल में तेंदुए अड्डा जमाए है। ग्रामीण बताते हैं कि तेंदुए जंगल के गांव वाले छोर पर और वहीं पर बैठ कर गुर्राता है। जिसके चलते ग्रामीणों का जंगल की तरफ जा पाना मुश्किल हो चुका है। डर के कारण लोगों का सुबह और शाम को घरों से निकलना बंद हो गया है।