बैजरो (पौड़ी गढ़वाल)। पौड़ी गढ़वाल के बीरोंखाल ब्लॉक के सात गांवों में तेंदुए का आतंक छाया हुआ है। हालत ये है कि यहां के लोग दिन में भी गांव से बाहर निकलने में डर रहे हैं। पिछले एक सप्ताह में तेंदुए ने यहां तीन बकरियों और दो गायों का शिकार कर डाला जबकि एक अन्य गाय पर हमला बोला। इन गांव के लोगों का कहना है कि इस तेंदुए को जल्दी ही पकड़े जाने की आवश्यकता है वरना यह आदमखोर भी बन सकता है।
ढौंडियालस्यूं एक पट्टी के गांव कोरकंडाई, कफलगैर मल्ला व तल्ला, डुमलोट, डाबर, भिड़कोट तल्ला व मल्ला और नौसैंण गांव में तेंदुए का आंतक छाया हुआ है। पिछले दो दिनों के भीतर तेंदुए ने ग्राम कोरकंडाई के चैतराम की एक गाय को अपना निवाला बना डाला। दो दिन पहले ही तेंदुए ने ग्राम डुमलोट के सतीश रावत की दुधारू गाय पर हमला बोल दिया लेकिन साथ में चर रहे बैलों ने तेंदुए पर हमला किया तो वह भाग निकला। इससे पहले ग्राम डुमलोट के ही महेंद्र सिंह रावत की एक बकरी को तेंदुए ने तब शिकार बना डाला जब उनकी बकरियां गांव के पास ही चर रही थीं।
इससे पहले एक हफ्ते के भीतर ग्राम डाबर के कृपाल सिंह की बकरी को भी तेंदुआ चरते वक्त उठा ले गया। डाबर के ही जगदीश सिंह की बकरी को भी तेंदुए ने अपना निवाला बनाया। ग्राम डाबर में ही एक गाय को भी तेंदुआ अपना शिकार बना चुका है।
उक्त किसी भी व्यक्ति को अब तक वन विभाग की ओर से कोई मुआवजा भी नहीं दिया गया है। ये तमाम वो लोग हैं जो खेती बाड़ी और पशुपालन से ही अपनी जीविका कमाते हैं।
इलाके के समाजसेवी एवं पूर्व शिक्षक बिलोचन प्रसाद मैंदोलिया का कहना है कि उन्होंने संबंधित वन विभाग से इस बारे में शिकायत की है और इलाके में पिंजड़ा लगाने की मांग की है ताकि तेंदुए को जल्दी कैद किया जा सके।
ग्राम कोरकंडाई के सतेंद्र प्रसाद ढौंडियाल का कहना है कि तेंदुआ अपने दो शावकों के साथ अकसर गांवों के निकट दिख रहा है। उन्होंने भी इस तेंदुए के नरभक्षी होने की आशंका जाहिर की है। उन्होंने भी एक लिखित पत्र वन विभाग के थलीसैंण रेंज कार्यालय को दिया है जिसमें उन्होंने लिखा है कि इस तेंदुए को जल्द से जल्द पकड़ने की आवश्यकता है।