चम्पावत में नकली नोट बनाने वाली फैक्ट्री का हुआ भंडाफोड़

(नेटवर्क 10 संवाददाता ) : चंपावत जिले के टनकपुर में नकली करेंसी के साथ पकड़े गए आरोपी बीते एक साल से नकली करेंसी बनाने और उसे आसपास के इलाकों में खपाने का कार्य कर रहे थे। अनुमान लगाया जा रहा है कि एक साल के दौरान अभियुक्तों ने एक करोड़ से अधिक के नकली नोट स्थानीय बाजारों में खपा दिए होंगे।  नकली नोट प्रिंट करने का कार्य ऊधमसिंह नगर जिले के नानकमत्ता कस्बे में स्थित जन सुविधा केंद्र (सीएससी) में लैपटाप और स्कैनर के जरिए किया जा रहा था। अभियुक्त नकली 200 और 500 रुपये के नोटों को आधे दामों में देते थे, जिस कारण अधिकतर लोग इनके झांसे में आकर नकली नोट बाजार में खपाने में सहयोग देते थे। आरोपियों की ओर से तैयार 100 और 200 रुपये के नोट हूबहू असली नोटों की तरह लगने से आसानी से बाजार में खपाए जा रहे थे। 500 रुपये के नोट की पेपर की क्वालिटी खराब होने के कारण ये लोग शक के दायरे में आ गए थे। पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह के अनुसार मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर बीते कुछ समय से पुलिस आरोपियों की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थी।

आरोपियों का आपराधिक इतिहास नहीं 
नकली करेंसी के साथ पकड़े गए तीनों आरोपियों का अभी तक कोई भी आपराधिक इतिहास नहीं रहा है। पुलिस अधीक्षक के अनुसार स्कैनर के जरिए नोट छापने वाला आरोपी हरदेव सिंह इंटर पास है। हरदेव सिंह के अलावा बृजकिशोर और रियाज का अब तक कोई भी आपराधिक इतिहास नहीं मिला है। अलबत्ता पुलिस मामले की तहकीकात में जुटी हुई है।

पुलिस के रडार में कई और लोग भी शामिल

नकली करेंसी बाजार में खपाने के मामले में टनकपुर-बनबसा क्षेत्र में कई अन्य लोग भी पुलिस की रडार में है। पुलिस अधीक्षक के अनुसार जल्द ही नकली करेंसी चलाने के मामले में लिप्त अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया जाएगा।

पुलिस टीम में ये लोग रहे शामिल

नकली करेंसी के साथ तीन आरोपियों को पकड़ने वाली पुलिस टीम में टनकपुर के प्रभारी निरीक्षक धीरेंद्र कुमार, उप निरीक्षक योगेश दत्त, एसओजी प्रभारी वीरेंद्र रमौला, कांस्टेबल मतलूब खान, राकेश रौंकली, मनोज बैरी, धर्मवीर सिंह, दीपक प्रसाद, शाकिर अली, सद्दाम हुसैन, भुवन पांडेय आदि शामिल रहे।
अभियुक्तों से बरामद हुई नकली करेंसी का विवरण
नकली करेंसी के मामले में पकड़े गए आरोपी बृजकिशोर के पास दो सौ रुपये की 11 गड्डी, सौ रुपये की दो गड्डी, अभियुक्त रियाज के पास सौ रुपये की छह गड्डी और हरदेव सिंह के पास दो सौ रुपये की चार, सौ रुपये की एक और मिक्स नोट की गड्डी के अलावा पांच सौ रुपये के 40 नोट वन साइड प्रिंट बरामद किए गए।

आसान नहीं है असली, नकली नोटों की पहचान करना

बाजार में आने वाले नोट असली और नकली होने की पहचान कर पाना आम लोगों के लिए बेहद कठिन है। भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य शाखा प्रबंधक प्रमोद अरोड़ा के अनुसार बैंक के दक्ष स्टाफ और स्कैनर की मदद से ही नकली नोटों की पहचान की जा सकती है।

आरसेटी के पूर्व निदेशक जर्नादन चिलकोटी का कहना है कि नोट में महात्मा गांधी के वाटर मार्क्स के साथ नोट को हल्की रोशनी में टेढ़ा कर तथा नोट में अंकित अंकों के आधार पर नकली नोट की पहचान की जा सकती है।

2000 के नोट की पहचान
2000 और 500 के नोट पर करीब 15-15 ऐसे निशान हैं जिनकी पहचान करने से नोट की असलियत सबके सामने आ सकती है। इसमें सबसे बड़ी पहचान ओमरोन एंटी है जो महात्मा गांधी के फोटो के ठीक ऊपर सफेद रंग के गोलों के रुप में हैं।

अगर कोई नोट की फोटोकॉपी करता है तो इन निशान के जरिए उसे पकड़ा जा सकता है। छोटे-छोटे अक्षरों में आरबीआई और 2000 लिखा है। नोट को हल्का से मोड़ने पर इस थ्रीड का कलर हरा से नीला हो जाता है।ऊपर में सबसे बाईं तरफ  और नीचे में सबसे दाहिने तरफ  लिखे नंबर बाएं से दाएं तरफ  बड़े होते जाते हैं।

नोट के पिछले भाग पर वर्ष, स्वच्छ भारत का लोगो, भाषा पैनल, मूल्यवर्ग अंक देवनागरी में और ओमरोन एंटी निशान भी दे रखे हैं। इन सभी के मिलान से नोट की असलियत का पता लगाया जा सकता है। 500 के नोट में देवनागरी में 500 लिखा दिखेगा। पुराने नोट की तुलना में महात्मा गांधी की तस्वीर का ओरिएंटेशन और पोजिशन थोड़ा अलग है। पुराने नोट की तुलना में गारंटी क्लॉज, गवर्नर के सिग्नेचर, प्रॉमिस क्लॉज और आरबीआई का लोगो दाहिनी ओर शिफ्ट हो गया है।

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