उच्च हिमालयी क्षेत्र में पैर पसार है लैंटाना, पारिस्थितिकी के लिए खतरे की घंटे

देहरादून (नेटवर्क 10 संवाददाता)। पहाड़ों में लैंटाना लगातार पैर पसार रहा है जो पहाड़ के लिए बड़ा संकट का संकेत है। मैदानी क्षेत्र में तो लैंटाना एक लाइलाज बीमारी के तौर पर जड़ जमा चुका है लेकिन अब तक पहाड़ इससे बचे हुए थे। अब इसने पहाड़ में पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। लैंटाना को खत्म करने के लिए तमाम तरह के शोध भी हो चुके हैं लेकिन इसे खत्म कर पाना बड़ी चुनौती साबित हो रहा है।

उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी लैंटाना पनप रहा है। ये यहां के पारिस्थितिकीय तंत्र के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। उत्तराखंड के एक बड़े अखबार ने इस बाबत एक स्पेशल रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक नंदादेवी व गंगोत्री नेशनल पार्क, केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग, गोविंद वन्यजीव अभयारण्य जैसे उच्च हिमालयी क्षेत्र के संरक्षित इलाकों में लैंटाना की यह प्रजाति पहुंच चुकी है। दरअसल, लैंटाना अपने आसपास दूसरी वनस्पतियों को पनपने नहीं देती और वर्षभर खिलते रहने के कारण इसका निरंतर फैलाव हो रहा है।

जाहिर है कि ऐसे में उच्च हिमालयी क्षेत्र के पारिस्थितिकीय तंत्र के लिए भी खतरे की घंटी बज चुकी है। हालांकि, वन महकमे ने लैंटाना उन्मूलन की योजना पर काम शुरू कर दिया है, मगर इसके लिए आमजन के स्तर से भी पहल जरूरी है।

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