लखवाड़-ब्यासी बांध परियोजना: डूब जाएगी पूरी सभ्यता, 48 घंटे में लोहारी गांव को खाली करने के दिए निर्देश

विकासनगर: देहरादून जिला प्रशासन ने जल विद्युत परियोजना से प्रभावित लोहारी गांव में रहने वाले 90 परिवारों को 48 घंटे में गांव खाली करने के नोटिस थमा दिया है। प्रशासन के इस नोटिस से ग्रामीण सदमे में हैं और काफी आक्रोशित भी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इतने कम समय में वे कैसे गांव खाली कर सकते हैं. हालांकि ग्रामीणों ने अपने सामान पैक करना शुरू कर दिया है।

परियोजना की झील में जल स्तर बढ़ाए जाने से लोहारी गांव जल्द ही डूब जाएगा। शनिवार तक पानी गांव के समीप पहुंच गया। पांड लेवल मेनटेन करने के बाद ही परियोजना से निर्धारित क्षमता की बिजली का उत्पादन शुरू होगा। अब तक जल विद्युत निगम के सामने दिक्कत यह आ रही थी कि बांध प्रभावित डूब क्षेत्र का लोहारी गांव खाली नहीं हो पाया था। जिला प्रशासन ने परियोजना से प्रभावित परिवारों को चिह्नित कर मुआवजा देने की प्रक्रिया पूरी की, जिसके बाद ग्रामीणों को गांव खाली करने का अल्टीमेटम दिया गया।

अपर जिलाधिकारी प्रशासन एसके बरनवाल ने बताया कि व्यासी परियोजना से डूब क्षेत्र में आ रहे लोहारी गांव के परिवारों के लिए सरकार की ओर से कुल 15 करोड़ 44 लाख मुआवजा राशि स्वीकृत है। इसमें विस्थापन एवं पुर्नवास नीति के तहत शुरुआती चरण में प्रभावित परिवारों को अस्सी फीसद मुआवजा दिया जा चुका है। 48 घंटे का मकान खाली करने का समय भी पूरा हो गया है।

हालांकि ग्रामीणों ने अपना सामान पैक करना शुरू कर दिया है। पैतृक गांव से बिछड़ने का दर्द ग्रामीणों की आंखों में साफ नजर आ रहा है। और साथ ही ग्रामीणों को चिंता सता रही है कि इतने कम समय में वे कैसे अपने लिए नया आशियाना खोजेंगे। ग्रामीणों के आरोप पर प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि नियमानुसार गांव को खाली करवाने की कार्रवाई की जा रही है। लोहारी के ग्रामीण पुश्तैनी मकानों के खिड़की दरवाजे व अन्य सामान निकालते नजर आए। ग्रामीणों को जल्द से जल्द सामान हटाकर गांव पूरी तरह से खाली करने को कहा है। फिलहाल पुश्तैनी मकान और गांव से जुड़ी उनकी आत्मीयता का बोध उनकी नम आंखों में देखा गया।

व्यासी परियोजना से आसपास के 6 गांव के 334 परिवार प्रभावित हो रहे है। इनमें से एक जौनसार-भाबर की अनूठी संस्कृति और परंपरा वाला जनजातीय आबादी वाला गांव लोहारी भी है। 90 परिवार वाला ये पूरा गांव झील में समा जाएगा। धीरे-धीरे आम के पेड़ पानी में डूब रहे है और पशुओं की छानी झील की दूसरी तरफ चली गई है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *