टिहरी वन विभाग में ईको टूरिज्म के नाम धूल फांक रहीं लाखों की साइकिलें 

टिहरी: वन विभाग ने लाखों की साइकिलें तो खरीद ली, लेकिन आज तक इन्हें उपयोग में नहीं लाया गया है. जिससे लाखों की साइकिलें धूल फांक रही हैं. वहीं अब वन विभाग के अधिकारी ईको टूरिज्म के नाम पर खर्च किये गये लाखों रुपये का उपयोग न होने के लिए कोरोनाकाल को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.

गौर हो कि टिहरी वन प्रभाग के तहत चंबा मसूरी के बीच कांणाताल क्षेत्र में ईको टूरिज्म के नाम पर वन विभाग के अधिकारियों द्वारा खरीदी गई लाखों रुपए की साइकिलें धूल फांक रही हैं. साइकिलों के उपयोग के लिए ठांगधार क्षेत्र में ट्रैक विकसित करने के नाम पर भी लाखों रुपया खर्च किए गए हैं. लेकिन ना ट्रैक का उपयोग किया जा रहा है, ना ही साइकिलों का उपयोग हो पा रहा है.
अब वन विभाग के अधिकारी ईको टूरिज्म के नाम पर खर्च किये गये लाखों रुपये का उपयोग न होने के लिए कोरोनाकाल को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. टिहरी वन विभाग ने मार्च में ईको टूरिज्म के नाम पर लगभग साढ़े चार लाख की लागत से 14 साइकिलें खरीदी थी. यह साइकिलें उस समय खरीदी गई, जब टूरिज्म का व्यवसाय ठप था.

साइकिलों को चलाने के लिए ठांगधार क्षेत्र में ट्रैक में वन विभाग ने 5 से 7 लाख खर्च कर दिए.लेकिन कोरोनाकाल में लाखों रुपये खर्च कर तैयार किये गये ट्रैक का उपयोग आज तक नहीं हो पाया है. जिसके चलते ईको टूरिज्म के नाम पर लाखों रूपये खर्च करके खरीदी गई साइकिलें वन चेतना केंद्र नई टिहरी में धूल फांक रही हैं. अधिकारी इसकी ठीकरा कोरोनाकाल पर फोड़ रहे हैं.

वहीं, डीएफओ कोको रोसो का कहना है कि अभी ट्रैक का ट्राइल होना है, जिस वजह से साइकिलों को न्यू टिहरी में रखा गया है. उन्होंने कहा कि जल्द इनका उपयोग किया जाएगा. रेंज अधिकारी आशीष डिमरी का कहना है कि साइकिलों के उपयोग के लिए 5 से 7 लाख खर्च कर ठांगधार क्षेत्र में ट्रैक विकसित करने का काम किया गया है. लेकिन कोरोना काल में ट्रैक का उपयोग नहीं हो पाया है. जिस कारण इन साइकिलों को बन चेतना केंद्र में रखा गया है.

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