उत्तरकाशी: जिला उत्तरकाशी के सिल्क्यारा क्षेत्र के राडी टांप पर बसने बाले बोखनाग देवता की मान्यता है कि इनकी इजाज़त के बगैर यहां कोई एक पत्ता भी नहीं हिला सकता।
सालों पहले विशल देश के राजा विश्व राणा की बारत जनपद उत्तरकाशी के धनारी क्षेत्र मे जा रही थी। सिल्क्यारा टनल के पास बोखनाग देवता ने बारात को रोका और भेंट चढाने को कहा लेकिन विश्वा राणा ने बारत वापसी के समय भेंट देने का वादा किया। बोले की बारात वापसी के समय भेंट देंगे, लेकिन वापसी में भेंट चढाए बिना राजा दूसरे रास्ते से बारात ले गए।
कहते है कि भेंट नहीं देने पर बोखनाग देवता क्रोधित हो गये ओर उसकी पूरी बारात हर ली गई। सैकड़ों बाराती और घोड़े खच्चर मारे गये। उसी वक्त से विश्व राणा भगवान बोखनाग के दूत के तौर पर यहां देवता बन गए। उन्होंने बोखनाग के आदेश पर गलत काम करने वालों को दण्डित करने का जिम्मा। यहां की परंपरा है की हर कार्य करने से पहले भगवान बोखनाग की आज्ञा लेनी जरूरी है नहीं तो नुकसान होना निश्चित है। पूरे देश ने देखा सिल्क्यारा रेस्क्यु आपरेशन में कुछ न कुछ दिक्कतें आ रही थी उसके बाद कंपनी से जुड़े अधिकारियों को बोखनाग की शरण मे जाना पड़ा था।
बताया जा रहा है कि 11 नवम्बर को टनल से मन्दिर हटा दिया गया था उसी सुबह टनल ढह गई। हादसे में 41 मजदूर टनल मे फंस गये। देश और दुनिया के एक्सपर्ट भी लगे रहे पर आखिर मोके पर सब फेल हो गये। हार-थक कर कम्पनी के अधिकारियों को बोखनाग देवता की शरण मे जाना पड़ा। इस के बाद जो हुआ वो पूरी दुनिया ने देखा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यहां विशाल मन्दिर के निर्माण की बात की है।