पंचायतों को 1 करोड़ का बजट मुहैया कराए सरकार: किशोर

देहरादून (नेटवर्क 10 संवददाता)। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और वनाधिकार आन्दोलन के प्रणेता किशोर उपाध्याय ने मुख्यमंत्री
त्रिवेंद्र सिंह रावत से प्रदेश की ग्राम पंचायतों को वर्तमान संकट से निपटने के लिये रु. 1करोड़ विकास कार्यों को निर्गत करने का पत्र लिखकर सुझाव दिया है। उपाध्याय ने इस बाबत मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।

उपाध्याय ने पत्र में कहा है कि सरकार ने ग्राम पंचायतों को कोरोना से निपटने हेतु कहा है, लेकिन कहने मात्र से काम थोड़े ही चलेगा, संसाधनों के बिना ग्राम पंचायतें नख-दंत विहीन कोरोना वारियर्र होंगी। यदि उनके पास संसाधन नहीं होंगे तो वे कैसे अपना काम करेंगी।
उपाध्याय ने कहा कि वे लगातार प्रदेश के हर कोने के ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों के सम्पर्क में हैं। ये प्रतिनिधि इस समय अत्यन्त दबाब में हैं, एक तो काम-धाम व नौकरी के लिये देश-विदेश गये गाँववासी वापस लौट रहे हैं, उनकी व्यवस्था की ज़िम्मेदारी भी स्थानीय प्रशासन ने उन्हें दे रखी है, बाहर से आने वालों को क्वॉरंटीन करने की व्यवस्था भी करनी है।

कई गावों में सामुदायिक भवन नहीं है और विद्यालय भवन जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है।इन क्वॉरंटीन लोगों के खाने-पीने, शौचालयों, नहाने आदि की व्यवस्था कैसे होगी? इन व्यवस्थाओं के लिये धन कहाँ से आयेगा? सरकार को तुरन्त कम से कम रू. 1लाख प्रति ग्राम सभा के लिये इन व्यवस्थाओं के लिये निर्गत करना चाहिये।ख़ाली काग़ज़ी आदेश और काग़ज़ी घोड़े दौड़ा कर ज़मीं पर काम नहीं होगा।

गाँवों में रोज़गार के लिये सरकार को मनरेगा के मानक़ों में सुधार करना चाहिये। सभी प्रतिनिधियों का सुझाव था कि:-
1. कार्य दिवसों की संख्या कम से
कम 200 होनी चाहिये।
2. दैनिक मज़दूरी रु. 500/- होनी
जरूरी है और
3. कृषि कार्यों को भी इसमें जोड़ना
समय की आवश्यकता है।
हर पंचायत में एक प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी भी होना चाहिये।
अभी तक सरकार के व्यवहार से लगता नहीं है कि, उसने कोरोना से पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को निपटने के लिये कोई कार्य योजना या रणनीति बनायी है।अभी तो लगता है, सरकार एक कदम आगे और 100 कदम पीछे जैसी मानसिकता से ग्रस्त है।

उपाध्याय ने कहा कि उन्हें भरोसा है, सरकार समय रहते चेतेगी और मुख्यमंत्री फ़्रंट से लीड करते दिखाई देंगे। अभी तो ऐसा लग रहा है कि जैसे प्रदेश में सरकार है ही नहीं।

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