देहरादून: उत्तराखंड के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण जमरानी बांध परियोजना को केंद्रीय कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि इस बांध परियोजना के निर्माण का रास्ता साफ होने से हल्द्वानी व आसपास के क्षेत्र में पेयजल एवं सिंचाई की समस्या का हल होगा।
उत्तराखण्ड के जनपद नैनीताल में काठगोदाम से 10 कि०मी० अपस्ट्रीम में गौला नदी पर जमरानी बांध (150.60 मी0 ऊंचाई) का निर्माण प्रस्तावित है। परियोजना से लगभग 1,50,000 हेक्टेयर कृषि योग्य क्षेत्र सिंचाई सुविधा से लाभान्वित होगा, साथ ही हल्द्वानी शहर को वार्षिक 42 एमसीएम पेयजल उपलब्ध कराए जाने तथा 63 मिलियन यूनिट जल विद्युत उत्पादन का प्रावधान है।
विदित हो कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (वृहद एवं मध्यम ) के अन्तर्गत जमरानी बांध परियोजना के वित्त पोषण हेतु निवेश स्वीकृति एवं जल शक्ति मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई थी। उक्त स्वीकृतियों के उपरान्त पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड, वित्त मंत्रालय भारत सरकार को वित्तीय स्वीकृति हेतु जल शक्ति मंत्रालय द्वारा प्रस्ताव प्रेषित किया गया था। प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय द्वारा इसी वर्ष मार्च माह में आयोजित पी०आई०बी० की बैठक में सहमति व्यक्त की गई।
भारत सरकार द्वारा रू0 1730.20 करोड़ की स्वीकृति पी०एम०के०एस०वाई० में 90 प्रतिशत ( केन्द्रांश) 10 प्रतिशत ( राज्यांश) के अन्तर्गत प्रदान किया जाना प्रस्तावित है। शेष धनराशि का वहन संयुक्त रूप से उत्तराखण्ड एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य के साथ किये गये एम0ओ0यू0 के अनुसार किया जायेगा। जमरानी बांध परियोजना से प्रभावित 351.55 हेक्टेयर वन भूमि सिंचाई विभाग को हस्तांतरित करने हेतु वन भूमि (स्टेज-2 ) अंतिम स्वीकृति पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा माह जनवरी 2023 में प्रदान कर दी गयी है, जिससे प्रस्तावित बांध निर्माण की राह और आसान होगी तथा परियोजना प्रभावित परिवारों के विस्थापन हेतु प्राग फार्म की प्रस्तावित 300.5 एकड भूमि का प्रस्ताव दिनांक 18.05.2023 को उत्तराखण्ड सरकार की कैबिनेट में पारित किया जा चुका है। उपरोक्त प्रस्तावित भूमि को शीघ्र ही सिंचाई विभाग को हस्तांतरित किये जाने के लिए भी कार्यवाही गतिमान है। इसी क्रम में अब इस बांध परियोजना को केंद्रीय कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति ने अपनी हरी झंडी प्रदान कर दी है।