सरकार ने कोरोना काल में लोगों की मुसीबत को देखते हुए 6 महीने के लोन मोरेटोरियम की घोषणा की थी. इस दौरान आपको बैंक की किस्त नहीं चुकानी पड़ी. अब बैंक मोरेटोरियम अवधि के दौरान लिए गए ब्याज के ऊपर ब्याज को लोगों के खाते में वापस डाल रहे हैं. लेकिन अगर आपने मोरेटोरियम का फायदा लिया था और अब अपना लोन बंद कराना चाहते हैं तो ये इतना आसान नहीं है इसके लिए आपको करीब 1.16 लाख की रकम अतिरिक्त चुकानी होगी. दरअसल बैंकों के इस खेल को समझने के लिए आपको इसे एक उदाहरण से समझना होगा. आइए जानते हैं कैसे आपको बैंक को लिए हुए रकम से भी ज्यादा लौटाना होगा वो तब जबकि आप 7 किस्त चुका चुके हैं.
किस्त चुकाने के बाद भी लोन की रकम से ज्यादा पैसे देने होंगें
अगर किसी व्यक्ति ने 6.12 लाख रुपए का पर्सनल लोन 24 फीसदी की दर से 5 साल के लिए लिया है औऱ उसकी एक महीने की किस्त 17,606 रुपए की बनती है. बैंक से ये लोन जनवरी में लिया गया तो आपने जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल की किस्त चुका दी. फिर उसके बाद आपने मोरेटोरियम लिया. यानी पहले तीन महीने में आपने 52,818 रुपए की किस्त चुकायी. फिर अगस्त में मोरेटोरियम की अवधि खत्म हो गई और सितंबर से आपकी किस्त शुरू हो गई. मोरेटोरियम खत्म होने के बाद आपने सितंबर, अक्टूबर और नंवबर तीन में में फिर से 52,818 रुपए की किस्त चुका दी. यानि 6 किस्तों में आपने 1,05,636 रुपए बैंक को चुका दिए.
रकम कम होने के बजाय बढ़ जाएगी
6 महीने की मोरेटोरियम लेने के बाद 6 महीने में आपने 1,05,636 रुपए बैंक को चुका दिए. आपने लोन लिया था 6,12,000 रुपए. बैंक को चुका चुके है 1,05,636 रुपए. तो अब अगर लोन बंद करना चाह रहे तो आपकी क्लोजर की रकम होनी चाहिए थी 5,06,354 रुपए. लेकिन जब आप इस लोन को बंद कराने जाएंगे तो बैंक आपसे कहेगा कि आपको 6,22,410 रुपए चुकाने पड़ेंगे तब आपका लोन बंद हो पाएगा. मतलब आपको 1,16,056 रुपए ज्यादा देने पड़ेंगे तब जाकर आपका लोन बंद होगा. ये स्थिति तब है जबकि ग्राहक को प्री क्लोजर का एक रुपए भी चार्ज नहीं देना है.
मोरेटोरियम के जाल में फंसा ग्राहक
सरकार ने मोरेटोरियम का फायदा आम जनता को रहात पहुंचाने के लिए दिया था. लेकिन अब बैंक इस तरह से ग्राहकों को मोरेटोरियम के नाम पर लूट रहे हैं. हालांकि बैंक इस एक्सट्रा चार्ज को एक्सट्रा नहीं मान रहे बल्कि दलील दे रहे हैं. कि आपने जो फायदा उठाया था वो चुकाना पड़ेंगा. लेकिन यहां सवाल ये है कि ये फायदा सरकार ने दिया था. लेकिन जब आप अब बैकों को उनकी रकम लौटाना चाह रहे हैं तो आपको अपने ही 1 लाख रुपए का नुकसान कराना होगा. एक तरफ माल्या जैसे लोग बैंकों का करोड़ों लेकर उफ्फ तक नहीं कर रहे. वहीं ईमानदार ग्राहकों से बैंक ऐसे वसूली करने में लगा है.