कोरोनाकाल में पहाड़ के 103 साल के बहुगुणा जी की जीवटता

(वरिष्ठ पत्रकार शीशपाल गुसाईं की कलम से)

-राम प्रसाद बहुगुणा 100 साल में भी जवान नज़र आते हैं

चम्बा (टिहरी)। तस्वीर में दिख रहे हैं 100 वर्ष के रामप्रसाद बहुगुणा जी।10 दिन पहले राम प्रसाद जी का जन्म दिन था. बड़ा मिस हुआ. नहीं मना सका। चलो 10 बाद ही सही। परिजनों का कहना है 5 जून को वह 100 वर्ष के हो गए हैं. लेकिन राम प्रसाद बहुगुणा अपने को 103 साल का कहते हैं.

1999 में राम प्रसाद चंबा में अपनी बेटी के दो मंजिला लेंटर पड़ने की रेखदेख कर रहे थे, लेकिन ऊपर से 11 हज़ार वोल्ट की बिजली कड़की और उनके सिर से करंट पैरों की उंगलियों को ध्वस्त करते हुए बाहर निकला। उनका सिर का ऑपरेशन हुआ था.

शरीर का माँस निकाल कर सिर पर लगाया गया. उनकी पैरों की 3 उंगलियां चले गई.बिजली विभाग वाले घर आते रहते थे कि उनकी तबियत कैसी है. उन्हें हैरानी होती थीं 80 साल का आदमी बचा कैसे ? हैरानी इस लिए कि लोग मामूली करंट से मर जाते हैं लेकिन 11 हज़ार वॉल्टेज बड़ी शक्तिशाली लाइन होती है।

टिहरी के ग्रामीण के एरिया में यहीं से बिजली जाती है।
लेकिन राम प्रसाद जी को जीना था। वह जी रहे हैं 100 साल में भी। दूसरी घटना, उनके वाक करते हुए. सड़क में घूमती गया ने उन्हें सींग से मार दिया था. वह बेहोश हो गए. अस्पताल ले गए, उन पर जान थीं। वह तंदुरुस्ती में लौटे। सब लोग जिनकी जिंदा दिली को सलाम करते हैं.

ऐसी महान आत्मा श्री राम प्रसाद बहुगुणा जी से से शीशपाल गुसाईं ने बातचीत की. जो कोरोना काल में आपको बतानी जरूरी है.

बहुगुणा जी आप कितने साल के हैं ?

103 साल का हूँ. जो घर वालों ने लिखा है वह सही भी हो सकता है।

उन्हें विस्मिर्ति भी होती है।

बहुगुणा जी आप की दिनचर्या क्या होती है ?

मैं सुबह 5 बजे उठता हूँ, घूमने निकलता हूँ, फिर घूम फिर
के घर आता हूँ. चंबा बाजार जाता हूँ. जो चीज चाहिए, वह लेता हूँ
लेकिन बाज़ार के हर दिन घूमना जाना पड़ता है.मन लगा रहता है।
जिस बाजार को हमनें बसाया, उसकी रौनक एक अलग खुशी देती है
एक गिलास दूध पीता हूँ केवल। नाश्ते के टाइम पर
फिर दिन में एक कटोरी चावल, एक कटोरी दाल लेता हूँ.

शाम के खाने में क्या लेते हैं ?

खाना मैंने शाम का 14 साल पहले छोड़ दिया था . अब मैं एक
दूध का गिलास, कुछ ड्राई फ्रूट्स जो कूटे रहते हैं उसमें मिला कर खाता हूं । रात में हल्का। क्योंकि सुबह की सैर करनी है

आजकल कोरोना है , घूमना फिरना घातक हो सकता है ?

मेरा घूमना सुबह तड़के, कोरोना का पिता भी बंद नहीं करा सकता हैं।
घूमना फिरना मेरी जिंदगी है। इससे ही विकास होता है।

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