नई दिल्ली (पीटीआई)। भारत इस दशक के अंत तक यूरोपीय संघ को ऊर्जा के क्षेत्र में पीछे कर देगा। इंटरनेशनल एनर्जी के मुताबिक वर्ष 2013 तक भारत यूरोपीय संघ को पछाड़ कर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एनर्जी कंज्यूमर बन जाएगा। आईईए के अनुमान के मुताबिक भारत में आने वाले दो दशकों में ऊर्जा के क्षेत्र में जबरदस्त तेजी देखने को मिलेगी। इंडिया एनर्जी आउटलुक 2021 के नाम से सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक एजेंसी ने कहा है कि भारत की प्राइमरी एनर्जी कंज्प्शन लगभग दोगुनी हो जागी वर्ष 2040 तक इसके 8.6 खरब डॉलर के पहुंचने की उम्मीद जताई गई है। मौजूदा समय में भारत विश्व में चौथा सबसे बड़ा एनर्जी कंज्यूमर है, जबकि तीसरे नंबर पर यूरोपीय संघ आता है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक 2019-40 के दौरान भारत में ऊर्जा की मांग बढ़कर विश्व की करीब एक चौथाई हो जाएगी जो किसी भी देश के लिए सबसे अधिक होगी। इसमें अक्षय ऊर्जा भी काफी अहम भूमिका निभाएगी । वर्ष 2040 तक भारत का पावर सिस्टम यूरोपीय संघ को पीछे छोड़कर काफी आगे निकल जाएगा। बिजली के उत्पादन में भारत ईयू को कहीं पीछे छोड़ देगा। इसमें करीब 30 फीसद की हिस्सेदारी अक्षय ऊर्जा की होगी। आपको बता दें कि अक्षय ऊर्जा से मतलब ऊर्जा के प्राकृतिक स्रोतों से हैं। इनमें सौर और पवन ऊर्जा भी शामिल है। आने वाले वर्षों में भारत प्राकृतिक गैस के उपयोग के लिए एक बड़ा बाजार बनकर सामने आएगा। वर्ष 2040 तक इसकी मांग में तीन गुना की वृद्धि की संभावना जताई गई है।
भारत के ऊर्जा में इतना आगे होने की एक बड़ी वजह को भारत में होने वाले औद्योगिकीकरण को भी माना गया है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इसका दौर न सिर्फ जारी रहेगा बल्कि तेजी पकड़ेगा। बीते तीन दशकों में भारत ने वैश्विक वृद्धि दर में दस फीसद की भागेदारी निभाई है। वर्ष 2040 तक ये बढ़कर 20 फीसद तक हो जाएगी। स्टील उत्पादन में भी भारत के आगे बढ़ने की उम्मीद इस रिपोर्ट में जताई गई है। इसी तरह से भारत में तेल की मांग 74 फीसद तक बढ़ने की उम्मीद है। ये बढ़कर करीब 90 लाख बैरल प्रति दिन तक पहुंच सकता है। इसी तरह से प्राकृतिक गैस वर्ष 2040 तक 201 बिलियन क्यूबिक मीटर और कोयले की मांग करीब 772 मिलियन टन की होगी जो अभी 590 टन है। भारत को इस बढ़ती मांग की आपूर्ति के लिए जैव ईंधन को बाहर से खरीदना होगा।