दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट तक पहुंचा इंसानों का कचरा

इंसानों ने एक और ‘कामयाबी’ हासिल कर ली है. शहरों के बाद पहले समुद्र और अब पहाड़ों पर भी इंसानों ने प्रदूषण और अपने कचरे को पहुंचा दिया है. दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) की चोटी के पास बर्फ में माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण (Microplastic Pollution) देखा गया है. इससे पहले 2018 में पृथ्वी की सबसे गहरी जगह मरियाना टेंच (Mariana Trench) में प्लास्टिक का मलबा पाया गया था. अब यह तय हो गया है कि इंसान पूरी पृथ्वी को प्रदूषित करने में कामयाब हो गया है.

माउंट एवरेस्ट की 8,850 मीटर ऊंची चोटी पर कुछ सौ मीटर के दायरे में माइक्रोप्लास्टिक के नमूने पाए गए हैं. 5,300 मीटर से लेकर 8,440 मीटर ऊंचाई तक एवरेस्ट के 11 स्थानों से इकट्ठा किए गए बर्फ के सभी सैंपल में माइक्रोप्लास्टिक के नमूने मौजूद हैं. माइक्रोप्लास्टिक के नमूने सबसे ज्यादा बेस कैंप के आसपास पाए गए. इसी जगह पर पर्वतारोही और ट्रैकर्स ज्यादातर रुकते हैं.

वैज्ञानिकों का कहना है कि सबसे ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक पर्वतारोहियों के कपड़ों, टेंट और रस्सियों से आता है. एक दूसरी रिसर्च में सामने आया है कि हवा के माध्यम से भी माइकोप्लास्टिक के टुकड़े एक जगह से उड़कर दूसरी जगह पहुंच सकते हैं.

माउंट एवरेस्ट पर प्रदूषण की रिसर्च का नेतृत्व करने वाली प्लायमाउथ विश्वविद्यालय की इमोगन नैपर ने कहा कि मैं ये देखकर हैरान हूं कि माउंट एवरेस्ट से इकट्ठा किए गए सभी स्नो सैंपलों में माइक्रोप्लास्टिक मौजूद है. उन्होंने कहा कि माउंट एवरेस्ट हमारे लिए एक प्रचीन धरोहर है. इंसान माउंट एवरेस्ट की चोटी के पास भी प्रदूषण कर रहा है ये जानकर मुझे वाकई हैरानी हुई.

खाने-पीने में माइक्रोप्लास्टिक

उन्होंने कहा कि माइक्रोप्लास्टिक हमारे वातावरण में मौजूद है. यह समय पर्यावरण को बचाने पर ध्यान देने का है. हमें पृथ्वी की रक्षा और देखभाल करने की जरूरत है. नैपर ने कहा कि प्लास्टिक को पर्यावरण में छोड़ देने से वो माइक्रोप्लास्टिक में टूट जाता है. कई माइक्रोप्लास्टिक टुकड़े सिंथेटिक कपड़ों से भी निकलते है. इससे बचने के लिए हमें प्राकृतिक कॉटन से बने कपड़ों का इस्तेमाल करना चाहिए. माइक्रोप्लास्टिक खाना और पानी के माध्यम से शरीर के भीतर प्रवेश करता है. हालांकि सेहत पर इसका क्या असर होता है यह अभी पता नहीं चल पाया है.

माउंट एवरेस्ट पर माइक्रोप्लास्टिक का पाया जाना एक चिंता का विषय बना हुआ है. इकट्टा किए गए सैंपल में माइक्रोप्लास्टिक का साइज 5 एमएम से भी छोटा है, जिसे इकट्ठा करना बेहद मुश्किल है. बात दें कि 2019 में 880 लोगों ने एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी.

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