काशीपुर (नेटवर्क 10 संवाददाता ): सरकार को मोटा राजस्व देने में आबकारी विभाग का नाम सबसे पहले आता है, लेकिन काशीपुर में बना आबकारी विभाग का कार्यालय बदहाली के आंसू बहा रहा है. विभाग के अधिकारियों को वाहन और कर्मचारी दोनों की कमी है. यही कारण है कि आबकारी विभाग के अधिकारी अवैध शराब की तस्करी और कच्ची शराब पर पूर्णता रोक लगाने में नाकाम दिखाई दे रहे हैं. अधिकारी लगातार कर्मचारियों और वाहन की मांग कर रहे हैं. इसे लेकर काशीपुर के आबकारी अधिकारी कई बार विभाग को पत्र भी लिख चुके हैं, लेकिन इन्हें हर बार केवल आश्वासन ही मिलता है.
बता दें कि, उत्तराखंड में शराब से सरकार को मोटा राजस्व मिलता है. सरकार को अंग्रेजी और देसी शराब के ठेकों से राजस्व मिलता है, लेकिन आबकारी विभाग द्वारा काशीपुर कार्यालय में एक अधिकारी के साथ एक महिला सिपाही और एक कर्मचारी की तैनाती की गई है. इन्हीं के क्षेत्र में काशीपुर और जसपुर तहसील भी आती है. इतना ही नहीं आबकारी विभाग ने अधिकारियों को सरकारी वाहन भी मुहैया नहीं कराया गया है. ये अधिकारी निजी वाहन से छापेमारी करने को मजबूर हैं.
कर्मचारियों की कमी के कारण विभाग अवैध शराब की तस्करी और कच्ची शराब पर रोक हमेशा चुनौती बनी रहती है . काशीपुर जसपुर क्षेत्र में हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ सहित अन्य राज्यों की शराब की तस्करी की जाती है. इतना ही नहीं काशीपुर और जसपुर क्षेत्र में कच्ची शराब का कारोबार कुटीर उद्योग का भी रूप ले चुका है. कई बार कच्ची शराब पर कार्रवाई करने गई आबकारी टीम पर शराब माफियाओं ने हमला तक कर चुकी है. ऐसे में अधिकारियों के पास वाहन और कर्मचारियों का न होना चिंता का विषय बना हुआ है.
काशीपुर के आबकारी अधिकारी महेंद्र बिष्ट ने बताया कि काशीपुर कार्यालय में 6 लोगों की तैनाती होनी चाहिए, लेकिन अभी केवल तीन लोग ही तैनात हैं. उन्होंने बताया कि कर्मचारियों और संसाधनों को लेकर कई बार पत्राचार किया जा चुका है. जिसमें उन्हें विभाग द्वारा केवल कर्मचारियों की तैनाती का आश्वासन ही मिलता है.