लापरवाही:सात महीने गोदाम में डंप पड़े रहे हाईटेक बैड

देहरादून: कोविड के कहर के बीच जहां एक तरफ अस्पतालों में बेड ना मिलने के कारण मरीजों की जान जा रही है। वहीं सरकारी खरीद के 450 हाईटेक बेड सात महीने से रायपुर क्रिकेट स्टेडियम में बने कोविड केयर सेंटर के गोदाम में डम्प पड़े रहे। livehindustan.com की रिपोर्ट के अनुसार बेड की सप्लाई करने वाली कंपनी, इनको फिक्स करने ही नहीं आई। दरअसल पिछले साल कोविड की पहली लहर के बीच सरकार ने रायपुर क्रिकेट स्टेडियम को कोविड केयर सेंटर में बदलते हुए यहां के लिए पांच सौ अत्याधुनिक बेड का ऑर्डर किया।
livehindustan.com ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि अंबाला की एक कंपनी ने अक्तूबर में बेड की डिलीवरी की। चूंकि उक्त बेड क्रिटिकल केयर के लिए मंगवाए गए थे, इसलिए इनको फिक्स करने की जिम्मेदारी भी संबंधित कंपनी की थी। लेकिन डिलीवरी के बाद, कंपनी ने बेड फिक्स करने की सुध नहीं ली। इसके लिए कई बार रायपुर अस्पताल की ओर से कंपनी के साथ ही स्वास्थ्य महानिदेशालय से सम्पर्क भी किया गया। इस बीच जनवरी में इनमें से 50 बेड कुंभ के लिए भेजे गए। शेष 450 बेड गोदाम में ही डम्प रह गए।
अब चारों तरफ बेड का संकट खड़ा होने पर प्रशासन को इन बेड की सुध आई लेकिन इसके लिए स्थानीय स्तर पर कोई मैकेनिक नहीं मिल पाया। इधर, कंपनी के प्रतिनिधियों ने भी फोन उठाने बंद कर दिए हैं। अब कई दिन की भागदौड़ के बाद प्रशासन ने रुड़की से मैकेनिक का इंतजाम कर यहां बेड लगाने का काम प्रारंभ किया है। साफ है कि यदि समय रहते यह काम कर लिया जाता तो साढ़े चार सौ मरीजों को समय पर बेड मिल पाता।
हाईटेक बेड फिक्स करने में मुश्किल
एक चिकित्साकर्मी ने बताया कि उक्त बेड क्रिटिकल केयर के लिए डिजाइन किए गए हैं। इन बेडों को 360 डिग्री पर घुमाया जा सकता है इसलिए इन्हें फिक्स करने के लिए दक्ष मैकेनिक ही चाहिए। उनके मुताबिक, कंपनी से डिलीवरी लेने के लिए स्वास्थ्य निदेशालय से स्पष्ट निर्देश थे, इसलिए आनन फानन में अलग अलग पुर्जों में डिलीवरी ली गई। अब कंपनी के प्रतिनिधि फोन ही नहीं उठा रहे हैं।
ये हाईटेक बेड सप्लाई करने वाले वेंडर के मैकेनिक समय पर नहीं मिल पाए। इस कारण अब रुड़की से मैकेनिक बुलाकर बेड लगाने शुरू कर दिए हैं। हमें उक्त बेड स्वास्थ्य महानिदेशालय से मिले थे। वेंडर के साथ क्या शर्त थी, देरी पर उसके खिलाफ क्या कार्रवाई की जानी है, इस पर स्वास्थ्य महानिदेशालय ही कुछ कह पाएगा।

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