हल्द्वानी के हृदय रोग अस्पताल में डॉक्टर नहीं होने से मरीज परेशान

हल्द्वानीः प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है. कई जगहों पर अस्पताल में डॉक्टर नहीं हैं तो कई जगहों पर दवाइयां नहीं हैं, लेकिन प्रदेश सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने के बड़े-बड़े दावे तो कर रही है, लेकिन नैनीताल जनपद में अगर किसी को हृदय की बीमारी हो जाए तो उसको किसी भी सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं मिल पाएगा. ऐसे में मजबूरन मरीजों को निजी अस्पतालों में जाकर महंगा इलाज कराना पड़ रहा है.

हृदय रोग अस्पताल में करोड़ों की लागत से स्थापित की गई मशीन धूल फांक रही है. वहीं, हार्ट केयर सेंटर में शुरुआती दौर में डॉ. विमल पंत की तैनाती की गई, जिससे कि मरीजों को इलाज मिल सके लेकिन कुछ दिन बाद डॉ. विमल पंत की हृदय गति रुकने से मौत हो गई, जिसके बाद से अब तक हृदय रोग अस्पताल को कोई डॉक्टर नहीं मिल पाया है.

वहीं, कुमाऊं के सबसे बड़े सुशीला तिवारी अस्पताल और बेस अस्पताल में लगातार हृदय रोग के मरीज सामने आ रहे हैं, लेकिन उनको इन अस्पतालों में इलाज नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि यहां पर कोई भी हृदय रोग के स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं हैं. ऐसे में पहाड़ के साथ-साथ अन्य इलाकों से आने वाले हृदय रोगियों को समय पर इलाज नहीं मिलने अधिकतर मरीजों की मौत हो रही है.

यही नहीं मजबूरन लोगों को निजी अस्पताल का सहारा लेना पड़ रहा है, जहां मरीजों के साथ इलाज के नाम पर जमकर लूट की जा रही है. उसके बावजूद भी मरीज ठीक हो सकेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है. वहीं, हृदय रोग अस्पताल को लेकर कई बार लोग आंदोलन भी कर चुके हैं, बावजूद इसके सरकार इस अस्पताल को डॉक्टर उपलब्ध नहीं करा पा रही है.

वहीं, इस मामले में जिलाधिकारी सविन बंसल का कहना है कि हृदय रोग अस्पताल में डॉक्टर की नियुक्ति जीर्णोद्धार को लेकर शासन को पत्र भेजा गया है. शासन से अनुमति मिलते ही हृदय रोग अस्पताल में मरीजों को इलाज मिल सकेगा.

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