कानपुर (नेटवर्क 10 संवाददाता)। एक ऐसी बारात कि लोग उससे तौबा करने लगे हैं। जी हां, इस बारात के साथ हुआ ही कुछ ऐसा कि इसमें शामिल लोग ही नहीं, इसकी कहानी सुनने वाले भी इस बारात को हमेशा याद रखेंगे। ये एक ऐसी बारात है जिसके किस्से सदियों तक सुनाए जाते रहेंगे।
जी हां, ये बारात है कानपुर की। कानपुर के चौबेपुर के एक गांव से गई एक बरात 45 दिन बाद भी नहीं लौट पाई है। ये बारात अभी लड़की के घर पर ही टिकी हुई है। 45वें दिन भी दूल्हा-दुल्हन की विदाई नहीं हो सकी है और बराती अभी तक लौटकर नहीं आ पाए हैं। अब गांव में दूल्हे के घर में रोज पड़ोसी पूछने आते हैं कि बरात कब लौटेगी और महिलाएं एक ही जवाब देती हैं-पता नहीं कबै अइहैं।
कानपुर नगर के चौबेपुर के गांव करीब नगर से महबूब खान के पुत्र मो. इम्तियाज का रिश्ता बिहार बेगुसराय बलिया प्रखंड के फतेहपुर गांव में मो. हामिद की भांजी खुशबू खातून से तय हुआ था। दूल्हा बना इम्तियाज 20 मार्च को बरात लेकर निकाह के लिए निकला था। करीब दस लोगों की बरात में उसकी मां, पिता और कुछ रिश्तेदारों के अलावा पड़ोसी दोस्त भी शामिल हैं। 21 मार्च को इम्तियाज और खुशबू का निकाह पढ़ा गया और बरातियों की जमकर मेहमाननवाजी की गई। दूसरे दिन दुल्हन की विदाई से पहले जनता कर्फ्यू की घोषणा हो गई तो बरात वहीं रुक गई। इसके बाद लॉकडाउन की घोषणा होते ही दूल्हा और दुल्हन के साथ बरात वहीं फंस गई।