सरकार को कोविड- 19 (COVID-19 Pandemic) से प्रभावित आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने और मौजूदा बढ़े खर्च को पूरा करने के लिये शत्रु संपत्ति को बेचने पर गौर करना चाहिए, जो एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की हैं. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अंशकालिक सदस्य नीलेष शाह ने यह सुझाव दिया है. शाह ने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों ने 1965 की लड़ाई के बाद शत्रु संपत्ति का अधिग्रहण करने के लिए कानून बनाए. पाकिस्तान इस तरह की समूची संपत्ति को 1971 में ही बेच चुका है लेकिन भारत इस मामले में उससे 49 साल पीछे चल रहा है. नीलेष शाह कोटक म्यूचुअल फंड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी हैं.
एक वेबिनार में शाह ने कहा, ‘‘आपको सरकारी संपत्ति का मौद्रीकरण करना चाहिए ताकि आगे खर्च करने के लिये आपके पास धन उपलब्ध हो.’’ उन्होंने कहा कि इस शत्रु संपत्ति का मूल्य तीन साल पहले एक लाख करोड़ रुपये आंका गया था. उन्होंने कहा कि इस तरह की संपत्तियों को बेचकर अतिक्रमण हटाने और मालिकाना हक की विसंगतियों को दूर करने का यह सबसे बेहतर समय है. शाह ने कहा कि इस तरह की 9,404 संपत्तियां हैं जो कि 1965 में सरकार द्वारा नियुक्त कस्टोडियन के अधीन की गई थीं.
सुस्त पड़ती आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के तौर तरीकों पर पूछे गए सवाल पर शाह ने कहा, ‘‘इन संपत्तियों को बेच डालिये और एक लाख करोड़ रुपये की राशि प्राप्त कर लीजिए, इससे आपके खर्चे पूरे हो जाएंगे.’’
क्या है शत्रु संपत्ति?
शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 की धारा 8-ए की उपधारा-1 के अनुसार शत्रु संपत्ति का मतलब उस संपत्ति से है, जिसका मालिकाना हक या प्रबंधन ऐसे लोगों के पास था, जो बंटवारे के समय भारत से चले गए थे. यानी, ये उन लोगों की संपत्तियां हैं, जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए या फिर 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद चीन चले गए और वहीं की नागरिकता ले ली. पाकिस्तानी नागरिकों की ऐसी 9280 संपत्तियां हैं जबकि चीनी नागरिकों द्वारा 126 संपत्तियां यहां छोड़ी गई हैं.
केंद्र सरकार शत्रु संपत्तियों के सार्वजनिक इस्तेमाल की इजाजत राज्य सरकारों को पहले ही दे चुकी है. गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक अधिसूचना के अनुसार, शत्रु संपत्ति आदेश, 2018 के निस्तारण के लिए दिशानिर्देशों में संशोधन किया जा चुका है जिससे राज्य सरकारें शत्रु संपत्ति का इस्तेमाल खास तौर पर सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए कर सकती हैं.
कहां कितनी Enemy Property?
पाकिस्तानी नागरिकता लेने वाले लोगों द्वारा छोड़ी गई संपत्तियों में से 4991 उत्तर प्रदेश में स्थित हैं जो देश में सबसे ज्यादा हैं. पश्चिम बंगाल में ऐसी 2,735 संपत्तियां हैं जबकि दिल्ली में 487 संपत्तियां हैं. चीनी नागरिकों द्वारा छोड़ी गई सबसे ज्यादा संपत्तियां मेघालय में हैं जहां ऐसी 57 संपत्तियां हैं. पश्चिम बंगाल में ऐसी 29 और असम में 7 संपत्तियां हैं.