उत्तरकाशी के नेलांग और जादुंग घाटी में होम स्टे के लिए सरकारी कवायद हुई शुरू

उत्तरकाशी : उत्तराखंड के लेह-लद्दाख कहे जाने वाले नेलांग और जादुंग घाटी में पर्यटक सैर करने के साथ अब वहां होम स्टे में भी ठहर सकेंगे। नेलांग और जादुंग गांव के मूल निवासियों को फिर से गांवों में बसाने की सरकारी स्तर पर कवायद भी शुरू हुई है। इन गांवों को पर्यटन का मॉडल गांव बनाने की भी तैयारी है। 1962 में भारत चीन के लड़ाई के दौरान सेना ने नेलांग और जादुंग के ग्रामीणों को गांव से हटा दिया था। तब से लेकर आज तक प्रभावित ग्रामीणों को उनके गांवों में विस्थापित नहीं किया गया।

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने नेलांग व जादूंग के मूल निवासियों के साथ बैठक भी की। गौरतलब है कि गत वर्ष मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसकी घोषणा की थी। जिसके बाद नेलांग और जादुंग गांव के मूल निवासियों की उम्मीदों के पंख खुलने लगे हैं। गौरतलब है कि 1962 से पहले भारत-चीन सीमा पर स्थित नेलांग गांव में करीब 40 परिवार और जादूंग गांव में करीब 30 परिवार निवास करते थे। इन सीमांत ग्रामीणों का मुख्य व्यवसाय कृषि एवं भेड़पालन था। हटाए जाने के बाद ग्रामीणों ने अपने रिश्तेदारों के यहां बगोरी और डुंडा में शरण ली। लेकिन, तब से लेकर आज तक प्रभावित ग्रामीणों को न तो विस्थापित किया गया और न फिर से गांव में बसने की अनुमति दी गई। नेलांग में उनकी 375.61 हेक्टेयर और जादुंग में 8.54 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। लेकिन, अब प्रशासनिक स्तर पर कवायद शुरू होने लगी है।

बैठक में जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने नेलांग जादूंग के ग्रामीणों की प्राथमिकताएं पूछी। ग्रामीणों की मांग के अनुरूप उपजिलाधिकारी देवेंद्र नेगी को रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए। जिससे नेलांग जादूंग को एक मॉडल गांव के रूप में विकसित किया जाए। साथ ही कृषि बागवानी के अलावा पर्यटकों के लिए होम स्टे और इनर लाइन की शर्तों में शिथिलता लाने को लेकर चर्चा हुई। नेलांग जादूंग के मूल निवासी एवं बगोरी गांव पूर्व प्रधान भवान सिंह राणा कहते हैं कि सरकारी स्तर पर लंबे समय बाद फिर से नेलांग जादुंग गांव के मूल निवासियों को मूल गांव में बसाने की कवायद हुई। इस कवायद का वे पिछले 58 साल से इंतजार कर रहे थे। अब इस कार्रवाई को सरकार को जल्द से जल्द करना चाहिए। हर ग्रामीण इसी का इंतजार कर रहा है।

बैठक में जाड़ भोटिया जन कल्याण समिति के अध्यक्ष सेवक राम भंडारी, उपाध्यक्ष मदन सिंह डोगरा, सचिव रतन सिंह रावत, कोषाध्यक्ष गुमान सिंह नेगी, ग्राम प्रधान सरिता रावत, पूर्व प्रधान नारायण सिंह नेगी आदि मौजूद थे।

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