उत्तराखंड के पहाड़ाें काे दोबारा बसाने का सुनहरा माैका

– सरकार काे कुछ सुझाव, मानाे या न मानाे..!
– मुख्यमंत्री जी इस ओर कदम उठाएंगे ताे लाेग याद करेंगे, वरना राज ताे चलता ही रहता है !—————–इस समय शहराें से अपना कामधंधा छोड़कर हजाराें हुनमंद युवा अपने गाँव में बैठे हैं, लगता उनके धंधे शहराें में भी आसानी से पटरी में आने वाले नहीं। ये लाेग बहुत ही मेहनतकश हैं क्याेंकि शहर के हाेटलाें, ढाबाें या कारखानाें में कड़ी मेहनत के बाद ही वेतन मिलता है वह भी मेहनत से बहुत कम. इनमें में अधिकत दस हजार से कम पगार पाने वाले युवा हैं जिनका रहने खाने के बाद कुछ भी नहीं बचता। ऐसे लाेग अगर अपने गांव में या आसपास अपनी स्वराेजगार कर लें ताे न सिर्फ इनके घर आवाद हाेंगे बल्कि इनके परिवार भी खुशहाल हाेंगे।
कुछ सुझाव-
– यदि काेई युवा अपने हुनर का काेई काम करना चाहे ताे उसे सरकार की ओर से प्राेत्साहित किया जाए.
– ब्लाक स्तर पर एक माह का स्किल डेवलपमेंट का प्रशिक्षण चलाया जाए.
– बागवानी, नर्सरी, मुर्गी पालन, डेयरी, मशरूम उत्पादन, पाेली हाउस में सब्जी उत्पादन, माेटर मैकेनिक, प्लमर, मछली पालन, हाेटल व्यवसाय, इकाे टूरिज्म, भवन निर्माण के मिस्त्री, कारपेंटर, फल प्रसंस्करण, पहाड़ी कलाकृतियाें का निर्माण जैसे व्यवसाय हाे सकते हैं.
– युवाआें काे उनकी रुचिनुसार विशेषज्ञों व स्थानीय सफल व्यवसायियों द्वारा एक माह का प्रशिक्षण कम से कम एक हजार की स्कालरसिप देकर दिया जाए.
– प्रशिक्षण के बाद विशेषज्ञों से इनका मनोवैज्ञानिक परीक्षण किया जाए जिससे पता चल सके कि क्या वह मानसिक स्तर पर अपने गाँव में रहने व अपना स्वराेजगार करने के लिए तैयार है.
– इसके बाद अपना व्यवसाय करने वाले युवाआें काे बिना ब्याज के एक लाख रुपये का रिण दिया जाए जिसमें पचास हजार काम शुरु करने तथा पचास हजार सालभर बाद उसके व्यवसाय में प्रगति के बाद दिया जाए.
– इसमें पहाड़ काे दिल से प्रेम करने वाले अधिकारी जैसे रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेस घिल्डियाल, पाैड़ी के डीएम गर्वियाल आदि काे ही रखा जाए.
– बहुत वरिष्ठ व पहाड़ काे प्रेम न करने वाले व शूटकेस लेकर काम करने के लिए बदनाम नाैकरशाहाें काे इससे दूर ही रखा जाए।
– हर आपदा, नये अवसर भी लेकर आती है, हाे सकता है काेराेना भी पहाड़ाें के भूतहा हाे चुके गांवाें काे बसाने में सहायक सिद्ध हाे…..!
-अगर इस अभियान में दाे चार साै कराेड़ खर्च हाे भी जाएं ताे पहाड़ काे बसाने का साैदा बुरा नहीं है.
– पलायन आयाेग भी इस अभियान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है.
– इसके लिये मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक वार रूम बने जिसमें पहाड़ पर काम करने वाले विशेषज्ञों की एक सलाहकार टीम हाे.
– यह काम युद्ध स्तर पर किया जाए, इसके लिये कुछ टिप्स याेगी सरकार से भी लिये जा सकते हैं, जहां इसके लिए एक हाई पावर कमेटी बन भी चुकी है.
– हाे सके ताे बिहार की तर्ज पर उत्तराखंड में पूर्ण नशाबंदी घाेषित किया जाए.
….धन्यवाद
जय बाबा केदार. हमें सद्बुद्धि दे….

(वरिष्ठ पत्रकार विजेंद्र रावत की कलम से)

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