- गब्बर सिंह नेगी अपने घर कोटद्वार पहुंचे
- ढोल नगाड़ों के साथ हुआ गब्बर सिंह नेगी का जोरदार स्वागत
- गब्बर सिंह नेगी ने एक लीडर की तरह उन सभी 41 श्रमिकों को संभाला
- श्रमिकों के मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
- टनल में फंसे श्रमिकों को योग और ध्यान करना सिखाया
कोटद्वार: उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे उत्तराखंड कोटद्वार के गब्बर सिंह नेगी अपने घर कोटद्वार पहुंच गए। कोटद्वार पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने ढोल नगाड़ों के साथ गब्बर सिंह नेगी का जोरदार स्वागत किया।
इस दौरान उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष क्षेत्रीय विधायक ऋतु खण्डूडी भूषण ने कोटद्वार के लालपानी के बिशनपुर स्थित उनके आवास पर पहुंचकर उनका स्वागत सम्मान कर उनको सम्मानित किया। साथ ही उन्हें मिष्ठान खिलाया।
गब्बर सिंह नेगी ने एक लीडर की तरह उन सभी 41 श्रमिकों को संभाला जो सिलक्यारा टनल में फंस गए थे। गब्बर सिंह नेगी ने फंसे श्रमिकों के मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बाद में यह पता चला कि वह गब्बर सिंह नेगी ही थे, जिन्होंने सुरंग के अंदर फंसने के दौरान श्रमिकों को योग और ध्यान करने के लिए सिखाया और आग्रह किया था।
विधानसभा अध्यक्ष ने उनके जज्बे और साहस की सराहना की। साथ ही उन्होंने गब्बर सिंह को धर्मपत्नी यशोदा देवी को माला पहना कर उनके धैर्य और उनके विश्वास की सराहना की।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा की उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूर 17 दिनों तक संघर्ष करते रहे, पल-पल निराशा और आशा के बीच जूझते हुए उनका जो वक्त वहाँ गुजरा शायद वो उसे कभी भुला न पाएँ, इस सबके बीच ये सभी मजदूर गब्बर सिंह नेगी की ज़िंदादिली के भी ताउम्र के लिए कायल हो गए। गब्बर सिंह नेगी उन 41 श्रमिकों में शामिल थे, जो अंदर 17 दिनों तक फँसे रहे।
न्होंने कहा की वो नेगी ही थे जिन्होंने मुश्किल की उन घड़ियों में जिंदगी जीने की उम्मीद इनके दिलों में जलाए रखी। यही वजह है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी कोटद्वार के पहाड़ के गब्बर के लिए कहना पड़ा, “देखो गब्बर सिंह, मैं तुम्हें तो विशेष रूप से बधाई देता हूँ, क्योंकि मुझे डेली रिपोर्ट हमारे मुख्यमंत्री जी बताते थे कि आप दोनों ने जो लीडरशिप दी और जो टीम स्प्रिट दिखाई मुझे तो लगता है शायद किसी यूनिवर्सिटी को एक केस स्टडी तैयार करनी पड़ेगी।”
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा की गब्बर सिंह जी ने कोटद्वार सहित पूरे उत्तराखंड का नाम रोशन किया। यह हम सभी के लिए गर्व की बात है। साथ ही उन्होंने चिंता जताई कि सुरंग में कार्य करने वाली कंपनियों को इस घटनाक्रम से सबक लेने की जरूरत है और श्रमिकों की सुरक्षा के लिए ओर बेहतर कार्य करने चाहिए।