उत्तरकाशी (नेटवर्क 10 संवाददाता) विश्व प्रसिद्ध दयारा बुग्याल में उत्तरकाशी वन प्रभाग ने नदी से भू-कटाव को रोकने के लिए एक अनूठा प्रयोग किया है. यह प्रयोग पहली बार किसी हिमालयी राज्य के बुग्याल में किया गया है. यहां पर उच्च हिमालयी क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र को देखते हुए जिओ वायर का प्रयोग किया गया है. जिसे भरने के लिए पिरूल का इस्तेमाल किया गया है. साथ ही नदी में चेकडैम और लॉग बनाने के लिए भी सीमेंट या मिट्टी के स्थान पर पिरूल और बांस का प्रयोग किया गया है.
उत्तरकाशी जिले में विश्व प्रसिद्ध दयारा बुग्याल 12 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. जहां पर बीते लंबे समय से बरसाती नदी से भू-कटाव की स्थिति से बुग्याल को खतरा पैदा हो रहा था. इस भू-कटाव को रोकने के लिए उत्तरकाशी वन विभाग की ओर से किसी भी हिमालयी राज्य में किसी बुग्याल में पहला प्रयोग है. यह इको फ्रेंडली तकनीक अभी तक मात्र यूरोप या केरल में इस्तेमाल किया गया था. वहीं, इसी तकनीक से बुग्याल में भू-कटाव को रोकने में खाद और मजबूत मिट्टी बनाने का कार्य करेगी.
उत्तरकाशी वन प्रभाग के डीएफओ संदीप कुमार ने बताया कि दीवारों पर नारियल के भूसे से बनी रस्सियों का इस्तेमाल किया गया है. साथ ही इसे भी पूरी तरह पिरूल से भरा गया है. जबकि, चेकडैम को इस तकनीक से मजबूती प्रदान की गई है. इसमें भी पिरूल और बांस का प्रयोग किया गया है. क्योंकि, दयारा जैसे बुग्यालों में किसी भी प्रकार के कंक्रीट का इस्तेमाल करना वर्जित है. साथ ही आने वाले 2 सालों में यह भू-कटाव को रोकने में संजीवनी का कार्य करेगी.