मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जागरूक लोगों का पहाड़ में रहना जरूरी है तभी वहां का विकास होगा। बता दें कि सीएम ने ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के नजदीक सारकोट गांव के देवीधार तोक में स्थानीय निवासी जमन सिंह से छह नाली भूमि खरीदी है। इस पहल के माध्यम से मुख्यमंत्री ने रिवर्स पलायन को लेकर बड़ा संदेश दिया है।
सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मैंने कोशिश की है कि पलायान वापस हो। यानी लोग अपने गांव की ओर आएं और राज्य की विकास में अपना योगदान करें। दूरस्थ क्षेत्रों में विकास तभी पहुंच पाएगा, जब वहां पर जागरूक लोग रहेंगे। विकास के लिए बहुत जरूरी है वहां पर लोकल इन्वेस्टर हों। मैंने इस दिशा में एक कोशिश की है। मैं बताना चाहता है कि दूरस्थ क्षेत्रों में बहुत स्कोप है, लेकिन जो हम देहरादून में करना चाहते हैं वह वहां संभव नहीं है। हमें वहां की परिस्थिति और प्रकृति ने जो संसाधन गिफ्ट के तौर पर दिया है का दोहन करें तो विकास की पर्याप्त संभावनाएं हैं। हम जब पहाड़ की बात करें तो दूरस्थ क्षेत्रों में विकास की बात करते हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह गैससैंण में आवास बनाएंगे। कहा, मेरी कोशिश होगी कि कुछ और लोग भी वहां पर जाएं।
साहसिक पर्यटन में स्वरोजगार की काफी सम्भावनाएं
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि साहसिक पर्यटन में युवाओं के लिए स्वरोजगार की काफी संभावनाएं हैं। राज्य सरकार साहसिक पर्यटन के नए केंद्र विकसित करने के प्रयास कर रही है। हमारी कोशिशें सफल होती भी दिख रही हैं। योजना के तहत ऐसी ही एक कोशिश पौड़ी जिले की नयार घाटी में की गई है। सतपुली में एंगलिंग कैंप के साथ नयार घाटी में एडवेंचर स्पोर्ट्स यानी राफ़्टिंग, कयाकिंग, एंगलिंग ,बर्ड वॉचिंग और पेरामोटरिंग पर्यटकों को आकर्षित करेंगे।